ओटीटी प्लेटफॉर्म के विकास में कई गुना बढ़ोतरी हुई है. इसने प्रमुख जटिलताओं का समाधान दिया है और मीडिया व प्रसारण उद्योग के लिए वरदान के रूप में सामने आया है. डिजिटाइजेशन ने टीवी उद्योग को सामग्री निर्माण, उत्पादन और विश्लेषणात्मक पहलुओं में रणनीतिक समर्थन प्रदान किया है. सबसे ऊपर इंटरनेट सेवाओं के प्रवेश और डेटा स्पीड ने विशाल और विविध सामग्री वाले दर्शकों को सामने लाया है. परिणामस्वरूप वीडियो ऑन डिमांड सर्विसेज (वीओडी) की मांग बढ़ गई है. पारंपरिक टीवी संरचना अभी सामग्री की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है.

इस स्थिति ने नई सामग्री संचालित वाले राजस्व मॉडलों को सामने लाने की आवश्यकता बढा दी है. ये डीटीएच उद्योग को दर्शकों की संख्या और राजस्व प्रोजेक्शन से आगे बढ़ सकने में मदद करेगा. इस संदर्भ में, ओटीटी प्लेटफॉर्म ही डीटीएच प्लेयर के लिए एकमात्र समाधान है. ये एक बहुत ही सफल मॉडल है जो कई पश्चिमी देशों में सफल साबित हुआ है. बड़ी कंपनियों ने इससे फायदा उठाने की कोशिश की है.

उदाहरण के लिए, टाटा स्काई मोबाइल ऐप को देखें. कोई भी इसे प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकता है और फोन पर रिमोट की सुविधा प्राप्त कर सकता है. मूल रिमोट की पूर्ण कार्यक्षमता के साथ, आप अपने टाटा स्काई सेट टॉप बॉक्स को सीधे अपने फोन से नियंत्रित कर सकते हैं. यदि आप एक प्रोग्राम रिकॉर्ड करना चाहते हैं, तो ऐप आपको ऐसा करने की अनुमति देता है, भले ही आप घर पर न हों.आप यात्रा पर है और यदि आप चाहते है कि अपने एचडी सेट-टॉप बॉक्स पर कुछ दिलचस्प रिकॉर्ड करने की जरूरत है तो ऐप पर जाएं और अपने सिस्टम को दूरस्थ रूप से किसी भी प्रोग्राम को रिकॉर्ड कर ले. लाइव टीवी स्ट्रीम के विकल्प भी उपलब्ध हैं.

टीवी का नुकसान ही ओटीटी का फायदा है

ऐसे समय जब टीवी ऑडियंस खो रहा है, तो यूट्यूब प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ रहा है. जुलाई 2015 में टींस पर किए गए एक सर्वे से पता चला कि अमेरीका में शीर्ष 10 सबसे प्रभावशाली सेलिब्रिटी में से आठ यूट्यूब सितारे हैं (2014 में शीर्ष 10 में से छह). यूट्यूब के सीईओ सुसान वोजकिकी ने कहा कि इंटरपब्लिक ग्रुप टीवी की जगह यूट्यूब पर विज्ञापन व्यय के लिए 250 मिलियन डॉलर के समझौते पर पहुंच गया है.”

ये क्रांति अभी शुरू हुई है. अधिक से अधिक लोग मोबाइल डिवाइस से इंटरनेट वीडियो, इमेज आदि देख रहे है. इंटरनेट आधारित टीवी की स्थापना के बाद से पारंपरिक टीवी देखने में बड़ी गिरावट आई है.

भारत के वीडियो उत्पादन हाउस और सामग्री मालिकों ने बाजार की इस क्षमता को मान्यता दी है और दौड़ में आगे रहने के लिए ओटीटी या वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाओं के माध्यम से अपने दर्शकों को अनुकूलित सेवा देना शुरु कर दिया है.

सोशल मीडिया एक लाइव-स्ट्रीमिंग हब बन गया है और हर कोई इसे अपनी रणनीति में शामिल करने की कोशिश कर रहा है. बहुत समय नहीं लगेगा जब भारत में लोग सबकुछ स्मार्टफोन पर देखेंगे और भारतीय टीवी खत्म होने लगेगा.