नई दिल्ली: भारतीय रेल ने ट्रेनों की करीब 40 हजार बोगियों से एक-एक टॉयलेट हटाने का फैसला किया है. दरअसल ट्रेन में खाने की प्लेट और कैरेट्स को रखने के लिए कोई जगह नहीं होती है और मुसाफ़िरों को दिए जाने वाले खाने को टॉयलेट के दरवाजे के पास रखना पड़ता है जो कि स्वास्थ्य और सफाई की दृष्टि से सही नहीं होता है. इस वजह से यह निर्णय लिया गया है.

पिछले दिनों भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक ने भी अपनी रिपोर्ट में इसे सेहत और स्वच्छता के लिहाज से ग़लत बताया था. रेलवे की योजना के मुताबिक़ हर कोच से एक-एक टॉयलेट हटाकर वहां कैटरिंग से जुड़े सामान को रखने के लिए जगह बनाई जाएगी.

भारतीय रेल ने 13 जून को मिशन रेट्रो फ़िटमेंट शुरू किया है. इसके तहत रेलवे के पुराने आईसीएफ़ डिज़ाइन के डब्बों को आधुनिक और सुरक्षित बनाया जा रहा है. रेलवे में फिलहाल इस तरह की क़रीब 40 हज़ार बोगियां मौजूद हैं. इन सभी को अगले 5 साल में नया डिज़ाइन दिया जाएगा.

भारतीय रेल में जर्मन डिज़ाइन के क़रीब 5 हज़ार एलएचबी कोच का भी इस्तेमाल होता है. नए डिज़ाइन की वजह से इसमें खानपान की सामग्री रखने की जगह मौजूद होती है. इसलिए ऐसे डब्बों में 4 टॉयलेट मौजूद रहेंगे. रेलवे ने भविष्य में केलवे एलएचबी डिज़ाइन के कोच बनाने का फ़ैसला किया है.

पहले रेलवे के रिज़र्व क्लास की बोगियों में दो टॉयलेट हुआ करते थे. फिर 1970 के दशक में तत्कालीन यात्री सेवा समिति के सुझाव के आधार पर ट्रेनों के हर कोच में 4 टॉयलेट बनाए गए थे.