नई दिल्ली: 9 सरकारी बैंकों के बंद होने की खबर इन दिनों जंगल में आग की तरह फैल रही है. परेशान लोग वॉट्सएप और अन्‍य सोशल मीडिया माध्‍यमों के जरिए एक-दूसरे को इसकी जानकारी दे रहे हैं. इस खबर के वायरल होने से जिन लोगों के अकाउंट्स इन सरकारी बैंकों में हैं, उनके पसीने छूटने लगे हैं. कहा जा रहा है कि एनपीए काफी अधिक हो जाने के कारण इन बैंकों का चलना अब संभव नहीं रह गया है. हालांकि सरकार की सफाई भी सामने आ गई है. वित्‍त मंत्रालय और आरबीआई के अनुसार इस तरह की खबरें गलत और आधारहीन हैं.

इन खबरों के बीच हालांकि आरबीआई और सरकार ने भी माना है कि इन बैंकों के बैड लोन काफी बढ़ गए हैं और इनका बफर कैपिटल भी काफी कम हो गया है. इसलिए आरबीआई द्वारा इन्‍हें प्रॉम्‍ट करेक्टिव प्‍लान (पीसीए) में रखा गया है. पीसीए के तहत डाले जाने के बाद बैंकों पर नजर रखी जाती है. यह एक तरह की चेतावनी है.

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तरह ही सरकार कई और सरकारी बैंकों का विलय करने की योजना बना रही है। केंद्र सरकार वैश्विक आकार के 3 से 4 बैंक तैयार करना चाहती है. इसके लिए वो विलय की योजना पर काम कर रही है.

केंद्र सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों की संख्‍या को 21 से घटाकर करीब 10 से 12 करना चाहता है। सरकार बैंकों के विलय पर काम कर रही है. इसमें अभी कुछ साल लग जाएंगे. सरकार चाहती है कि पूरे देश में एसबीआई की तरह कम से कम 3-4 बैंक हों.