नई दिल्ली: जम्मू और कश्मीर की मुख्यममंत्री महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर मसले को सुलझाने के लिए किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का पूरजोर विरोध किया है। महबूबा मुफ़्ती ने कहा है कि अगर अमेरिका कश्मीर के मसले पर दखल देने लगा तो घाटी की वही हालत हो जाएगी जो सीरिया और अफगानिस्तान की है। बता दें कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारुख अब्दुल्ला ने शुक्रवार 21 जुलाई को कहा था कि कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए भारत को अमेरिका और चीन की मध्यस्थता स्वीकार करनी चाहिए। लेकिन जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी सरकार की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने ऐसी किसी भी कोशिश को सिरे से नकार दिया है। महबूबा मुफ्ती ने दो टूक कहा, ‘चीन और अमेरिका को अपना घर संभालना चाहिए, हमें आपस में मिलकर बात करनी है तो अमेरिका तुर्किस्तान और इंग्लिस्तान हमारा क्या करेगा।’ महबूबा ने कहा कि अमेरिका ने जहां जहां दखल दिया है वहां क्या हालत हुई है आप सभी जानते हैं। उन्होंने कहा, ‘सीरिया, अफगानिस्तान और इराक में आज हालात क्या हैं? क्या फारुख साहब वही हालात कश्मीर में देखना चाहते हैं।’ महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर मुद्दे को हल करने के लिए भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत होनी चाहिए। इसमें किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है। महबूबा ने कहा,’ जैसा कि वाजपेयी जी ने लाहौर समझौते के वक्त कहा था कि कश्मीर मुद्दे का हल निकालने के लिए भारत-पाकिस्तान को बात करनी चाहिए।’ बता दें कि फारुख अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा था कि दुनिया भर में भारत के कई सहयोगी हैं जिनसे भारत संपर्क कर सकता है और उन्हें कश्मीर विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने को कह सकता है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कह चुके हैं कि वे कश्मीर मुद्दे का समाधान चाहते हैं और साथ ही चीन भी कह चुका है कि वह इस मुद्दे को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने के लिए तैयार है। बता दें कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी फारुख अब्दुल्ला की इस पेशकश को ठुकरा दिया है।