नई दिल्ली: देश के अधिकांश हिस्‍सों में लगातार हो रही बारिश के कारण सब्जियों के दाम इन दिनों आसमान छू रहे हैं. सबसे अधिक आग टमाटर की कीमतों में लगी हुई है, जो 100 रुपये प्रति किलो के भी पार चली गई हैं. अन्‍य हरी सब्जियों के दाम भी 1.5 गुना तक बढ़ गए हैं, जिससे आम आदमी का जीना दूभर होता जा रहा है. बारिश की वजह से एक तरफ जहां खेत में लगी काफी सब्जियां बर्बाद हो गई हैं, वहीं सड़कें और पुल टूटने व बाधित होने से सब्जियों की आवाजाही भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है.

सब्जियों के महानगरों की स्थिति थोड़ी अधिक खराब हो गई है. मुंबई और दिल्‍ली जैसे शहरों में तो टमाटर आम आदमी के दायरे से बाहर चला गया है. उदाहरण के लिए 15 दिन पहले मुंबई में जो टमाटर 50-60 रुपये प्रति किलो के भाव बिक रहा था, वह अब 100-110 रुपये किलो पर पहुंच गया है। इसी तरह 15 दिन पहले 40 रुपये प्रति किलो के भाव से मिल रहे शिमला मिर्च अब 50-60 रुपये किलो पर पहुंच गया है। 15 दिन पहले 110 रुपये प्रति किलो के भाव से मिल रहे मटर का भाव अब 150 रुपये किलो पर पहुंच गया है।

दिल्ली में सिर्फ एक हफ्ते में टमाटर के दाम तीन गुना बढ़ गए हैं। दिल्ली में 15 दिन पहले 30 रुपये प्रति किलो के भाव से मिल रहा टमाटर का भाव अब कई जगहोंं पर 100 रुपये किलो के करीब चला गया है। 15 दिन पहले 30-40 रुपये प्रति किलो के भाव से मिल रही शिमला मिर्च अब 60 रुपये किलो पर पहुंच गई है। इसी तरह, 15 दिन पहले 60 रुपये प्रति किलो के भाव से मिल रहे मटर का भाव अब 100-120 रुपये किलो पर पहुंच गया है। 15 दिन पहले 30 रुपये प्रति किलो के भाव से मिल रही फूल गोभी का भाव अब 60 रुपये किलो पर पहुंच गया है।

मुंबई में 15 दिन पहले 20 रुपये प्रति किलो के भाव से मिल रहे पत्ता गोभी का भाव अब 30-40 रुपये किलो पर पहुंच गया है। 15 दिन पहले 50 रुपये प्रति किलो के भाव से मिल रही भिंडी का भाव अब 60-70 रुपये किलो पर पहुंच गया है। 15 दिन पहले 40 रुपये प्रति किलो के भाव से मिल रही फूल गोभी का भाव अब 50-60 रुपये किलो पर पहुंच गया है।

15 दिन पहले 40-50 रुपये प्रति किलो के भाव से मिल रही फूल गोभी का भाव अब 80 रुपये किलो पर पहुंच गया है। 15 दिन पहले 20-30 रुपये प्रति किलो के भाव से मिल रही भिंडी का भाव अब 60 रुपये किलो पर पहुंच गया है।

कोई शक नहीं कि छोटे और मध्‍यम आकार के शहरों में भी सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं. लेकिन उनकी स्थिति महानगरों की तुलना में बेहतर है. चूंकि छोटे शहरों में स्‍थानीय जरूरतों की अधिकांश चीजों स्‍थानीय तौर पर उपलब्‍ध हो जाती हैं, जिसमें आसपास के किसानों की बड़ी भूमिका होती है, इसलिए सब्जियों की कीमतें एक दायरे में ही रहती हैं.