नई दिल्ली: दोषी ठहराए गए सांसदों या विधायकों के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने आयोग से इस मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा है।

चुनाव आयोग के वकील नवीन सिन्हा ने जब न्यायालय से कहा कि आयोग राजनीति में अपराधिकरण के खिलाफ याचिकाकर्ता की याचिका का समर्थन करता है तो न्यायमूर्ति रंजन गोगोई तथा न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा, “यह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में है, अगर आप स्वतंत्र नहीं रहना चाहते हैं और विधायिका द्वारा विवश हैं, तो ऐसा कहिए।”

पीठ ने कहा, “जब एक नागरिक दोषी सांसदों या विधायकों के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध की मांग को लेकर चुनाव आयोग के पास पहुंचता तो क्या चुप रहना विकल्प है? आप 'हां' या 'नहीं' में जवाब दे सकते हैं। आप चुप्पी कैसे साध सकते हैं?”

चुनाव आयोग के जवाब का एक पैराग्राफ पढ़ने के बाद पीठ ने यह टिप्पणी की, जो दोषी ठहराए गए सांसदों या विधायकों के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की याचिका का समर्थन करता है। वकील ने हालांकि कहा कि कथित पैराग्राफ को अलग करके नहीं देखा जाए और आयोग की पूरी प्रतिक्रिया के हिस्से के तौर पर पढ़ा जाना चाहिए।

न्यायालय ने ये टिप्पणियां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें उन्होंने दोषी ठहराए गए सांसदों या विधायकों के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने तथा आपराधिक मामलों के आरोपी सांसदों या विधायकों के खिलाफ सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन की मांग की थी।