लखनऊः राजभवन में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक को आज सूचना राज्यमंत्री डाॅ0 नीलकंठ तिवारी ने प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित 15 खण्डों के ‘पंडित दीनदयाल सम्पूर्ण वांग्मय’ की प्रथम प्रति भेंट की। राज्यमंत्री डाॅ0 नीलकंठ तिवारी द्वारा राज्यपाल के साथ-साथ लखनऊ स्थित सभी विश्वविद्यालय के कुलपतियों को भी वांग्मय की प्रतियाँ भेंट की गयी। इस अवसर पर प्रमुख सचिव सूचना श्री अवनीश अवस्थी, प्रमुख सचिव श्री राज्यपाल सुश्री जूथिका पाटणकर, निदेशक सूचना श्री अनुज कुमार झा, प्रभात प्रकाशन के प्रमुख श्री प्रभात कुमार सहित विश्वविद्यालय के कुलपतिगण व सूचना विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग द्वारा ‘पंडित दीनदयाल सम्पूर्ण वांग्मय’ की 7,000 प्रतियाँ क्रय की जायेंगी, जो प्रदेश के शैक्षणिक संस्थाओं को उनके पुस्तकालय के लिये भेजी जायेंगी। वांग्मय के 13वें खण्ड की भूमिका राज्यपाल श्री राम नाईक द्वारा लिखी गयी है।

राज्यपाल श्री राम नाईक ने राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में पंडित दीनदयाल सम्पूर्ण वांग्मय वितरित किये जाने के निर्णय का स्वागत करते हुये कहा कि ‘मैंने पंडित दीनदयाल को देखा भी है, सुना भी है और समझा भी है, इसके लिये मैं स्वयं को भाग्यशाली समझता हूँ।’ डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने उनके बारे में कहा था, ‘मुझे दो और दीनदयाल दे दो तो मैं पूरे देश का परिवर्तन कर दूंगा।’ एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे जिन्होंने देश और समाज की सेवा करते हुये अपना सारा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया। वे एक सक्रिय कार्यकर्ता, कुशल संगठक, मौलिक विचारक होने के साथ-साथ अद्वितीय समाजशास्त्री, राजनीति विज्ञानी एवं दार्शनिक थे। पंडित दीनदयाल ने देश की आर्थिक समस्याओं पर गहन चिन्तन एवं विचार किया है। उनमें निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल का व्यवहार और दृढ़ विचार से आगे बढ़ना उनकी विशेषता थी।

श्री नाईक ने कहा कि पंडित दीनदयाल ने बड़ी सहजता से अर्थशास्त्र, राजनीति, कृषि आदि पर अपने विचार रखे। उन्होंने एकात्म मानववाद पर विचार करते हुये अंत्योदय की वैचारिक भूमिका का निर्माण किया। अपने विचारों के प्रचार के साथ-साथ व्यवहार से उन्होंने लोगों को जोड़ा। पंडित दीनदयाल एवं राम मनोहर लोहिया ने मिलकर राजनीति कैसी हो, इस पर विचार किया। उनका मानना था कि मतभेद हो सकते हंै पर राष्ट्र के लिये एक होकर सोचना चाहिये। अपने बारे में बताने का स्वाभाव पंडित जी का नहीं था। राज्यपाल ने जमींदारी उन्मूलन को लेकर राजस्थान विधान सभा के विधायकों को समझाने में पंडित दीनदयाल की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। पंडित दीनदयाल का मानना था कि यदि समाज की दृष्टि से कोई काम उचित है तो उसे करना चाहिये। उन्होंने कहा कि प्रभात प्रकाशन ने वांग्मय का प्रकाशन करके वास्तव में अमृत कुंभ तैयार किया है।
राज्यमंत्री सूचना डाॅ0 नीलकंठ तिवारी ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक या पौराणिक रचना के लिये निर्धारित की जाने वाली नीति युगानुकूल और देशानुकूल होनी चाहिए। भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ था। अधिनायकवादी परम्परा आजादी के बाद भी कहीं न कहीं पाई जाती थी। पश्चिमी संस्कृति में निर्धनतम व्यक्ति के विकास की कल्पना नहीं थी। पंडित दीनदयाल ने राष्ट्रनीति को देश के भाव के अनुसार निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत में व्यक्ति, समाज, प्रदेश, देश एवं विश्व के विकास की विचारधारा रही है। सुख की अवधारणा भारतीय संस्कृति में निहित है। देश तभी सुखी होगा जब अन्तिम व्यक्ति सुखी होगा। पंडित दीनदयाल ने समाज को जो दर्शन दिया है, वह देश के विकास के लिये आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का चिन्तन सबके सुख की परिकल्पना पर आधारित है।

प्रमुख सचिव सूचना श्री अवनीश अवस्थी ने अपने स्वागत उद्बोधन में सभी का स्वागत करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि पंडित दीनदयाल जन्मशती कार्यक्रम प्रदेश में वृहद स्तर पर आयोजित किये जायेगें। सभी जिलों में विशेष आयोजन होंगे तथा पंडित दीनदयाल सम्पूर्ण वांग्मय की सात हजार प्रतियां क्रय की जायेंगी जिन्हें सभी शैक्षणिक संस्थाओं के पुस्तकालयों में भेजा जायेगा। समाज के अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचने के लिये हमें एक सोच उत्पन्न करने की जरूरत है। यह विचार समाज में रहने वाले हर डाक्टर, इंजीनियर, शिक्षाविद् को करना होगा कि उसके माध्यम से समाज को कैसे लाभ मिल सकता है जिससे देश को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हो सके। उन्होंने कहा कि इस दृष्टि से पंडित दीनदयाल के विचार को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

कार्यक्रम में प्रो0 एस0पी0 सिंह कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय, प्रो0 आर0सी0 सोबती कुलपति बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, डाॅ0 निशीथ राय कुलपति, डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय विकलांग पुनर्वास विश्वविद्यालय, प्रो0 गुरदीप सिंह कुलपति डाॅ0 राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, प्रो0 एम0एल0बी0 भट्ट कुलपति किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय, प्रो0 विनय कुमार पाठक कुलपति डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, प्रो0 एस0के0 शुक्ला कार्यवाहक कुलपति ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी, फारसी विश्वविद्यालय, प्रो0 अरूण कुमार मित्तल कुलपति बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय, प्रो0 श्र ुति सडोलिकर काटकर कुलपति भातखण्डे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय तथा जनरल के0के0 ओहरी प्रतिकुलपति एमिटी विश्वविद्यालय उपस्थित थे। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन सूचना निदेशक श्री अनुज कुमार झा द्वारा ज्ञापित किया गया।