लखनऊ: एंट्रप्रेन्योरशीप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (ईडीआईआई), उद्यमिता शिक्षा, अनुसंधान, प्रशिक्षण और इंस्टीट्यूश्न बिल्डिंग के लिए मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय संसाधन संस्थान, विकास आयुक्त हस्तशिल्प (डीसी-हस्तशिल्प) के तहत, लखनऊ जिले में हस्तशिल्प मेगा क्लस्टर मिशन (एचएमसीएम) के लिए चिकन कारीगरों को प्रशिक्षण दे रहा है।

ईडीआईआई इन कारीगरों के लिए और लखनऊ और इसके आस-पास उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) का संचालन कर रहा है ताकि वे अपने उद्यमशील कौशल को अपग्रेड कर सकें और अपना खुद का उद्यम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित हो सकें। संस्थान ने 31 मार्च 2017 तक 7 कार्यक्रमों में 140 कारीगरों को प्रशिक्षित किया है। 20 कारीगरों के प्रत्येक बैच को पांच दिनों के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। ईडीआईआई, संकाय संसाधन और हिन्दी में ईडीपी सामग्री मुहैया कराएगा। ईडीआईआई उन्हें स्वयं का व्यवसाय स्थापित करने के लिए वित्तीय संस्थानों से वित्त प्राप्त करने में सहायता करेगा।

चिकन नाजुक और चमकीले ढंग से कपडों पर की गई कढाई है। ये मुस्लिन, रेशम, शिफॉन, ऑर्गेंजा, नेट आदि के कपडों पर होता है। एसोचैम के मुताबिक, इस क्षेत्र में लगभग पांच लाख श्रमिक शामिल हैं। चिकन हस्तशिल्प एक असंगठित क्षेत्र है जो पीढ़ियों से पारंपरिक कौशल और ज्ञान की वजह से जिन्दा ह। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मल्टीडीसिप्लिनरी रिसर्च इन सोशल साइंस के एक अध्ययन से पता चला है कि चिकन शिल्प उद्यमियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे, चीनी चिकन उत्पाद की मौजूदगी, तकनीकी कमी, खंडित प्रक्रिया, निर्यात में गिरावट और उद्योग जागरूकता बढ़ाने के लिए मार्केटिंग उपाय का न होना आदि।

डॉ आशीष भटनागर, संकाय सदस्य, ईडीआईआई ने कहा कि उत्तरप्रदेश में परंपरागत शिल्प की एक समृद्ध विरासत है। लखनऊ का चिकन हस्तशिल्प उनमें से एक है। कारीगरों को प्रशिक्षण देने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वे अपने व्यवसाय संभावनाओं को सुधारने में सक्षम हो सकें। उन्हें स्वयं का उद्यम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकें। उद्यमशीलता कौशल से वे अपने उत्पादों को बडे बाजार तक पहुंचाने में सक्षम हो सकते हैं और बिचैलिए को खत्म कर के अधिक कमा सकते हैं। इस प्रशिक्षण में वित्तीय साक्षरता और व्यापार रणनीतियों से जुडे मॉड्यूल भी शामिल होंगे।

चिकन कारीगरों के उद्यमशीलता कौशल को मजबूत करने के अलावा, ईडीआईआई उन्हें ऑनलाइन माध्यम से प्रोसेस, मार्केटिंग रणनीतिअ, ब्रांडिंग के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। कारीगरों को संचार और बातचीत कौशल, प्रौद्योगिकी अनुकूलन और मूल्य निर्धारण रणनीति के बारे में भी प्रशिक्षित किया जाएगा। संस्थान इन गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने में भी सहायता करेगा।