चेन्नई : मद्रास हाईकोर्ट ने वध के लिए मंडियों से पशु बिक्री पर रोक से संबंधित नरेन्द्र मोदी सरकार के फैसले पर 4 हफ़्ते के लिए रोक लगा दी है। मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने मंगलवार (30 मई ) को ये फैसला सुनाया। अदालत ने केन्द्र सरकार और राज्य सरकार से इस मामले में 4 हफ़्ते में जवाब मांगा है। बता दें कि कुछ ही दिन पहले केन्द्र सरकार ने वध के लिए मंडियों और बाजार से पशुओं की बिक्री पर रोक लगा दी थी। इस फैसले का कई राज्यों की सरकारों ने विरोध किया था। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि केन्द्र सरकार ने फैसला राज्यों से बिना पूछे लिया है। मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने कहा कि लोगों की ‘फूड हैबिट’ तय करना सरकार का काम नहीं है। इस संबंध में केन्द्र के फैसले के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एमवी मुरलीधरन और जस्टिस सीवी कार्तिकेयन ने कहा कि अपने पसंद का खाना चुनना सभी का व्यक्तिगत मामला है और इस अधिकार में कोई दखल दे नहीं सकता है। अदालत ने इस मामले में 4 हफ़्ते में संबंधित पक्ष से जवाब मांगा है।

केन्द्र सरकार के इस फैसले का कई राज्यों की सरकारों और संगठनों ने विरोध किया था। इसमें पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और केरल की वामपंथी सरकार शामिल है। इस मामले में तब बड़ा विवाद छिड़ गया था जब केरल के कन्नूर ने इस फैसले के विरोध में यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक रुप से एक बछड़े को काटा था और बछड़े के मीट को लोगों के बीच में बांटा था। यूथ कांग्रेस के इस कार्यक्रम का देश भर में विरोध हुआ था। हालांकि कांग्रेस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए अपने पार्टी के दो सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। सूत्रों के हवाले ये भी खबरें आई थी कि फैसले के विरोध में उठती आवाजों को देखकर केन्द्र सरकार इस अधिसूचना में ‘मवेशी’ शब्द को नये सिरे से परिभाषित करने की सोच रही है और इस नये परिभाषा के तहत भैंस को प्रतिबंधित लिस्ट से बाहर कर लिया जाएगा। यानी की लोगों को बाजार से भैंस खरीदन कर काटने की इजाजत होगी।