नई दिल्ली : क्रिकेट का मिनी वर्ल्ड कप इंग्लैंड में एक जून से शुरू हो रहा है. क्रिकेट की सभी दिग्गज टीमें इंग्लैंड में इकट्ठी हो चुकी हैं और अपनी अपनी तैयारियों में लगी हैं. क्रिकेट विशेषज्ञ इस बात का विश्लेषण करने में जुटे हैं कि इस बार चैंपियंस ट्रॉफी का विजेता कौन हो सकता है.

भारत डिफेंडिंग चैंपियन है. वह पूरी कोशिश करेगा कि अपने खिताब को बचा पाए, लेकिन ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर कोई ऐसी टीम नहीं है जो बार लगातार चैंपियंस ट्रॉफी जीती हो. ऑस्ट्रेलिया ने 2006 और 2009 में लगातार दो बार इस ट्रॉफी पर कब्जा किया था. विराट के नेतृत्व में पहली बार भारत चैंपियंस ट्रॉफी में भाग ले रहा है. यानी सालों बाद धोनी टीम के कप्तान नहीं होंगे.

देखना दिलचस्प होगा कि विराट के वीर इंग्लैंड में कैसा परफोर्म करते हैं. फिर भी इस बात की संभावना कम ही है कि भारत इस कप को दोबारा जीतेगा. इस पूरे टूर्नामेंट की खास बात यह है कि सात बार खेली गई इस ट्रॉफी में मेजबान देश कभी विजेता नहीं बना. केवल 2002 में श्रीलंका में आयोजित इस टूर्नामेंट में भारत और श्रीलंका दोनों को विजेता घोषित करना पड़ा था. वह भी बारिश की वजह से.

सबसे पहले 1998 में बांग्लादेश में इस टूर्नामेंट का आयोजन हुआ. विजेता बना दक्षिण अफ्रीका. 2000 में केन्या में आयोजित इस टूर्नामेंट में ट्रॉफी न्यूजीलैंड के नाम रही. 2002 में, श्रीलंका में आयोजित टूर्नामेंट के विजेता श्रीलंका और भारत संयुक्त रूप से बने.

2004 में इंग्लैंड में आयोजित चैंपियंस ट्रॉफी वेस्ट इंडीज फाइनल में इंग्लैंड को हराकर चैंपियन बनी. 2006 में, भारत में आयोजित इस टूर्नामेंट के फाइनल में वेस्ट इँडीज दोबारा पहुंची लेकिन ऑस्ट्रेलिया से हार गई. 2009 में, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित टूर्नामेंट का फाइनल ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच हुआ और ऑस्ट्रेलिया विजयी रहा.

2013 में मिनी वर्ल्ड कप का आयोजन एक बार फिर इंग्लैंड में हुआ. फाइनल में भारत ने इंग्लैंड को 5 रनों से हरा दिया और चैंपियन बन गया. संयोग से इस बार भी मेजबान इंग्लैंड है, इसलिए इतिहास इंग्लैंड के विजेता बनने का भी विरोधी दिखाई पड़ रहा है. हालांकि इंग्लैंड इस समय पिछले एक दशक की सबसे मजबूत टीम दिखाई पड़ रही है. मोर्गन की कप्तानी, जो रूट, बटलर, बेन स्टोक्स, जेसन रॉय, एलेक्स हेलस मोइन अली के साथ उनके पास लंबी बैटिंग लाइन अप है. इंग्लैंड की गेंदबाजी भी शानदार है. और जाहिर इंग्लैंड की टीम इंग्लैंड के हालात को बाकी टीमों में बेहतर जानती है. हाल ही में दक्षिण अफ्रीका को 72 रन से हराकर इंग्लैंड ने अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं.

स्मिथ की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया की टीम इस बार चैंपियंस ट्रॉफी की सबसे प्रबल दावेदार है. खेलने की उनकी आक्रामक शैली, शानदार बैटिंग लाइन अप और बेहतरीन गेंदबाजी एक विजेता के रूप में उनके लिए सबसे अधिक संभावनाएं देख रही है.

दक्षिण अफ्रीका भी कम नहीं है. विश्व रैंकिंग में नंबर एक की इस टीम में तकनीकी रूप से सक्षम बल्लेबाजों (हाशिम अमला, डूपलेसिस) के साथ आक्रामक बल्लेबाजों (डीविलियर्स, मिलर, डुमुनी) की कोई कमी नहीं है, गेंदबाजी और फील्डिंग में भी अफ्रीका की टीम ऑस्ट्रेलिया से 19 नहीं है. यह भी संभव है कि इस बार का फाइनल इन्हीं दोनों टीमों के बीच हो.

पाकिस्तान बेशक कमजोर दिखाई दे रहा हो लेकिन बड़े टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करना उसकी खूबी है. हालांकि, पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी कभी नहीं जीता है. लेकिन फिर भी पाकिस्तान सबसे अनप्रेडिक्टिेबल टीम है.

विश्व रैंकिंग में छठे नंबर की टीम बांग्लादेश बड़े उलटफेर के लिए जानी जाती है. लेकिन ये उलटफेर उसे विजेता नहीं बना सकते. यदि एलीमीनेशन थ्योरी पर चलें, तो बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान और मेजबान इंग्लैंड को एलीमीनेट किया जा सकता है.

भारत के लिए भी लगातार दो बार ट्रॉफी जीतना आसान नहीं होगा और इस बार भारत के कप्तान धोनी नहीं है. इसलिए आप चाहें तो भारत को भी एलीमीनेट किया जा सकता है.

अब बची तीन टीमें ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड. हालांकि न्यूजीलैंड को चैंपियंस ट्रॉफी जीते हुए 17 साल हो चुके हैं. और शुरूआती मैचों में बांग्लादेश से हारकर उन्होंने अपनी कमियों को उजागर कर दिया है. इसलिए न्यूजीलैंड की संभावनाएं भी कम ही दिखाई देती हैं. दक्षिण अफ्रीका ने 1998 में पहली चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी, वह प्रतिबद्ध होगा 19 साल बाद इस ट्रॉफी को जीतने के लिए और ऑस्ट्रेलिया चाहेगा कि तीसरी बार इस ट्रॉफी पर कब्जा जमाया जाए. यह सिर्फ आकलन है. देखना है ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में से कौन इस आकलन पर खरा उतरता है या कोई अन्य टीम इस सारे आकलन को गलत साबित करती है.