नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को ट्रिपल तलाक पर सुनवाई पूरी हो गई है। पांच दिन की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले पांच जजों की बेंच के सामने ट्रिपल तलाक पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को मुख्य याचिकाकर्ता सायरा बानो के वकील अमित चढ्ढा अपनी दलीलें पेश की।

अमित चड्ढा ने कोर्ट में कहा कि मेरी राय में ट्रिपल तलाक एक पाप है और मेरे व मेरे खुदा के बीच में बाधा है। वहीं बुधवार को अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने ट्रिपल तलाक खत्म करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जोरदार ढंग से पैरवी की। रोहतगी ने कहा कि यह बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक का मुद्दा नहीं है।
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सुप्रीम कोर्ट से फैसला देने की मांग करते हुए अटार्नी ने कहा कि अगर इस पर कोई कानून बनाया जाता तो यह माना जाता कि बहुसंख्यक समुदाय अल्पसंख्यक वर्ग पर अपने विचार थोप रहा है। लेकिन यह बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक का मुद्दा नहीं है। यह एक समुदाय के अंदर पुरुषों और महिलाओं के बीच का संघर्ष है, क्योंकि पुरुष ज्यादा ताकतवर हैं। अटार्नी ने तर्क दिया कि धर्म के अधिकार के तहत धार्मिक सुरक्षा दी गई है, न कि धार्मिक परंपराओं की, लेकिन किसी भी मामले में धर्म का अधिकार असीमित नहीं हो सकता।

इससे पहले मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में स्वत: संज्ञान नहीं लेना चाहिए था क्योंकि यह पर्सलन लॉ का मामला है। जवाब में अटार्नी जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सिर्फ इस आधार पर कानूनों की समीक्षा से मना नहीं कर सकता कि यह पर्सनल लॉ हैं।