सरकार ने माना-नहाने लायक भी नहीं है पानी

केंद्र सरकार के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगे जवाब में स्वीकार किया है कि हरिद्वार में गंगा मैली है और इसका पानी पीने लायक नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार की आरटीआई के जवाब में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने माना कि हरिद्वार में गंगा का पानी सभी सुरक्षा मानकों पर विफल रहा। रिपोर्ट के अनुसार हरिद्वार के करीब 20 गंगा घाटों पर हर रोज 50 हजार से एक लाख श्रद्धालु स्नान करते हैं।

सीपीसीबी ने उत्तराखंड में गंगोत्री से हरिद्वार के बीच 294 किलोमीटर लंबी गंगा में 11 जगहों से गंगाजल के नमूने जांच के लिए लिए थे। अखबार ने आरटीआई में गंगाजल की गुणवत्ता और जिन जगहों से नमूने परीक्षण के लिए गए थे उनकी जानकारी मांगी थी। सीपीसीबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरएम भारद्वाज ने टीओआई के बतााय कि पानी की गुणवत्ता के चार मुख्य प्रतिमानों पर जांचने के लिए ये नमूने लिए गए थे। इनमें डिजाल्वड ऑक्सीजन (डीओ), बॉयोलॉजिक आक्सिजन डिमांड (बीओडी) और कोलिफॉर्म (बैक्टीरिया) की जांच शामिल है।

सीपीसीबी की जांच में पता चला कि हरिद्वार के आसपास गंगाजल में बीओडी, कोलिफॉर्म और दूसरे जहरीले पदार्थों की मात्रा काफी अधिक है। गंगा को फिर से साफ करना केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में है। सरकार इसे साफ करने के लिए नेशनल मिशन ऑफ क्लीन गंगा चला रही है।

केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने 2014 में कहा था कि गंगा तीन साल में साफ हो जाएगी। पीएम नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को पद की शपथ ली थी। प्रधानमंत्री मोदी ने पद ग्रहण करने के बाद अपने वाराणसी दौरे में खुद को गंगा मां का गोद लिया हुआ बेटा बताया था। ऐसे में मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के समय ही आई इस जानकारी से केंद्र सरकार की किरकिरी होनी तय है।