लखनऊ: कानून-व्यवस्था के नाम पर पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार को घेरकर करीब दो महीने पहले नए तेवर के साथ सत्ता में आई योगी आदित्यनाथ सरकार के सामने यही मुद्दा सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार अपने शुरुआती 100 दिनों के कार्यकाल का ‘रिपोर्ट कार्ड’ अगले महीने के अंत में जारी करेंगे और राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार मुख्यमंत्री इस दस्तावेज को अपनी सरकार का कामयाबीनामा बनाना चाहेंगे। मगर इसके लिए चुनौती काफी बड़ी है। 19 मार्च को योगी आदित्यनाथ ने यूपी के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

प्रदेश भाजपा का कहना है कि योगी सरकार बनने के बाद से प्रदेश की तस्वीर में बदलाव शुरू हो चुका है। गुंडागर्दी खत्म हो रही है और अपराध का ग्राफ गिर रहा है। सरकार में जनता का विश्वास बहाल हो रहा है। मगर सहारनपुर में जातीय संघर्ष, बुलन्दशहर, संभल और गोंडा में हाल में हुई साम्प्रदायिक घटनाओं ने सरकार के लिए चिंता खड़ी कर दी है। ज्यादा चिंता की बात यह है कि इन वारदात में बीजेपी और तथाकथित हिन्दूवादी संगठनों के लोगों की संलिप्तता के आरोप लगे हैं।

मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) समेत तमाम विपक्षी दल उस बीजेपी सरकार को कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर घेर रहे हैं, जो इसी मसले पर पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार की आलोचना करके सत्ता में आई है। बुलंदशहर में एक लड़की को साथ ले जाने की घटना में अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति की हत्या मामले में योगी आदित्यनाथ द्वारा गठित हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं पर आरोप लगा है। हालांकि योगी वाहिनी सदस्यों को कानून हाथ में ना लेने के लिए चेतावनी दे चुके हैं। सहारनपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने कथित रूप से क्षेत्रीय सांसद राघव लखनपाल शर्मा की अगुवाई में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के घर पर हमला किया। इस मामले में विपक्ष सांसद की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है।