कार्यदायी संस्था और स्वास्थ्य विभाग की लड़ाई मंे खंडहर हुआ भवन

जयसिंहपुर-सुलतानपुर। जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर
स्थित बझना (पीढ़ी) में स्वास्थ्य सुुविधाओं को ध्यान में रखते हुए 80 के
दशक में तत्कालीन मुख्यमंत्री पं. श्रीपति मिश्र के प्रयास से पीएचसी के
निर्माण के लिए शासन से आया लाखों रूपया वापस हो गया। कार्यदायी संस्था
ने भवन का निर्माण तो पूरा कर लिया, लेकिन मानक के अनुरूप बिल्ड़िंग का
निर्माण न होने से विभाग ने उसे अपनाने से मना कर दिया। जिसके बाद कई
सालों तक कानूनी दाव-पेंच में मामला उलझा रहा नतीजतन बिल्ड़िंग खंडहर में
तबदील हो गयी। यहां के लोगों को न तो इसका लाभ मिल पाया और न ही
स्वास्थ्यकर्मियों को।

कांग्रेस शासन काल में तत्कालीन मुख्यमंत्री पं. श्रीपति मिश्र ने
कूरेभार विकास खंड के बझना गांव में क्षेत्रीय लोगों की मांग पर पीएचसी
की स्थापना की मंजूरी दी। शासन से हरी झंडी मिलते ही कार्यदायी संस्था ने
सन् 1982 में गाँव पंचायत बझना के मानापुर गाँव मे स्थान चिन्हित कर
निर्माण कार्य शुरू किया। भवन के निर्माण के लिए शासन द्वारा चैदह लाख
पैतीस हजार रुपए की धनराशि भी निर्माण इकाई को उपल्ब्ध करा दी गयी। भवन
निर्माण इकाई द्वारा केन्द्र के भवन का निर्माण शुरू कराया गया। पीएचसी
का दर्जा मिलने के बाद यहां पर डाक्टर एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की
तैनाती की गयी। गांव में बने मातृ शिशु कल्याण केन्द्र पर पीएचसी का
संचालन किया जाने लगा। इसी बीच कार्यदायी संस्था ने निर्माण कार्य भी
पूरा कर लिया, लेकिन भवन मानक के अनुरूप न होने से विभाग ने निर्माण इकाई
से भवन हस्तांतरित नही लिया। मानक की अनदेखी कर हुये भवन निर्माण की
अनिमियताओं को देखकर स्वास्थ्य विभाग ने निर्माण इकाई पर मुकदमा कर दिया
जो कई सालो तक चला। अंत मे विभाग ने मुकदमा भी जीता लेकिन पुनः निर्माण व
निर्माण इकाई पर कार्यवाही करवाने से विभाग बचता चला आ रहा है। कानूनी
दाव-पंेच में करीब 35 वर्ष का समय बीतता चला गया। देख-रेख के अभाव में
कार्यदायी संस्था द्वारा बनाई गयी बिल्डिं़ग खंडहर में तबदील होती चली
गयी। यहां पर तैनात स्वास्थ्यकर्मी भवन के अभाव में खंडहर में रात्रि
प्रवास करने के लिए मजबूर है। किसी तरह राम भरोसे चिकित्सक मरीजों का
इलाज तो कर रहे है, लेकिन मरीजों व चिकित्सको की सुविधा के लिये पेयजल के
लिये हैण्डपम्प व हवा के लिये विद्युत आपूर्ति नही है। निर्माण इकाई
द्वारा बनाये गये भवन की ईंट व दरवाजे गाँव के शरारती तत्व उठा ले जा रहे
है वही पानी के लिये बने टंकी के लिये लगाए गये मोटर भी लोग उठा ले गये
है। क्षेत्र के शेष नरायन पांडेय एडवोकेट, पूरन पांडेय आदि लोगों का कहना
है कि यहां से जिला मुख्यालय की दूरी करीब 30 किलोमीटर है। पीएचसी पर
संसाधन का अभाव होने से लोगों को स्वास्थ्य को सुविधाओं में असुविधा हो
रही है। क्षेत्रीय लोगों ने शासन से पीएचसी का निर्माण कराए जाने की मांग
की है।

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सत्ता परिवर्तन व अधिकारियों की कार्यशैली मे बदलाव देखते हुये अब
ग्रामीणों मे फिर से पुनः निर्माण की आस जगी है। प्राथमिक स्वास्थ
केन्द्र बन जाने से क्षेत्र के दर्जनों ग्राम पंचायतों के हजारो लोग
लाभांवित होगे।