समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव योगी आदित्य नाथ सरकार के “नो वीआईपी कल्चर” के पहले बड़े शिकार हुए हैं। बिजली विभाग के अधिकारियों ने जांच के दौरान उन्हें निर्धारित और आवंटित मात्रा से ज्यादा बिजली खपत का दोषी पाया है। यह मामला उनके पैतृक गांव इटावा का है। बिजली विभाग के अधिकारी आज (20 अप्रैल को) इटावा स्थित मुलायम सिंह के आवास पर पहुंचे थे। वहां उन लोगों ने पाया कि 5 किलोवाट प्रतिदिन बिजली खपत का कनेक्शन है लेकिन वहां आवंटित सीमा से आठ गुना ज्यादा बिजली खपत हो रही थी।
77 वर्षीय मुलायम सिंह पर चार लाख रुपये बिजली बकाया का भी आरोप है। बिजली विभाग के अधिकारियों ने बकाया राशि के भुगतान के लिए एक महीने का वक्त दिया है। अधिकारियों ने खपत की गई 40 किलोवाट बिजली के बकाया का भुगतान कराने के बाद ही बिजली खपत की सीमा बढ़ाने की बात कही है।
गौरतलब है कि मार्च से पहले मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव साल 2012 के मार्च से साल 2017 तक राज्य के मुख्यमंत्री थे। तब इनमें से किसी अधिकारी की हिम्मत मुलायम सिंह के इटावा स्थित घर में दस्तक देने की नहीं थी लेकिन जैसे ही राज्य में भाजपा की सरकार आई है, ये अधिकारी भी हरकत में आ गए हैं। जिस वक्त ये अधिकारी वहां पहुंचे थे, उस वक्त मुलायम सिंह लखनऊ में थे।
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