पंजियन छात्रों की संख्या 189 में मौजूद रहें पांच

सुलतानपुर। कभी शिक्षा की गुणवत्ता के लिए मशहूर आजादी के पहले का
प्राथमिक विद्यालय हसनपुर प्रथम जिले का मौजूदा समय में ऊपर की लाइन से
सबसे नीचे है। विद्यालय का दृश्य देखने के बाद पूरी व्यवस्था की पोल
प्याज के छिलके की तरह उधड़ती है। सहायक शिक्षक पहले और जिम्मेदार गुरूजी
लेट-लतीफ पहुंच रहे है। चालू शिक्षण सत्र में अभी तक मात्र दो बच्चों का
ही पंजियन हो पाया है। पिछले शिक्षण सत्र में विद्यालय के हेड मास्टर
स्कूल के बच्चों के साथ गांव वालों के बच्चों को भी ड्रेस वितरित कर
दिया। यही पर दाल में कुछ काला लगता है। अगर खरीदे गए ड्रेस पर बीएसए
जांच कराते है, तो निश्चित तौर पर दूध और पानी अलग हो जाएगा। कमोबेस यही
हाल उच्च प्रथमिक विद्यालय प्रथम का है। समय से विद्यालय न पहुंचने पर
शिक्षकों की शिकायत डीएम कार्यालय से की। बीएसए ने इसे गम्भीर विषय मानते
हुए जांच की बात कही।

विकासखंड दूबेपुर के प्राथमिक विद्यालय हसनपुर प्रथम आजादी के पहले
का स्थापित है। गांव वाले बयां करते है कि राजा हसनपुर करीब 1889 में
विद्यालय की नीवं रखी थी, जो बाद में मिडिल तक हो गया है। यहां पर
दूर-दराज के नौनिहाल शिक्षा ग्रहण करके निकलते थे, तो विद्यालय के शिक्षा
की गुणवत्ता की खुशबू चहुंओर पहुंचती थी, लेकिन अब आलम बदल गया है। अब वह
दौर नही न दीवाने अर्थात् गुरूजी की सोच में बदलाव आ गया है। अब इस
विद्यालय में दूर-दराज की बात छोड़िए गांव वाले ही अपने बच्चों को भेजना
रास नही आता। मसलन शिक्षक की सोच में ही नही शिक्षा की गुणवत्ता में भी
भारी गिरावट आयीं है। साथ ही विद्यालय का माहौल भी बेहतरीन होने के बजाय
खराब है। पिछले शिक्षण सत्र में करीब 260 छात्र-छात्राए पंजीकृत थी।
जिसमें कक्षा पांच के 46 बच्चें पास होने के बाद उच्च शिक्षा के लिए
अनयत्र चले गए। ऐसा उपस्थिति रजिस्टर बच्चों का बयां करता है। जबकी धरातल
पर बच्चों की संख्या कुछ इतर है। राष्ट्रीय सहारा ने मंगलवार को विद्यालय
की पड़ताल की तो व्यवस्था में खामियां ही खामियां नजर आयी। विद्यालय के
शिक्षक समय से और हेड मास्टर दिनेश तिवारी सुबह 7ः15 पर पहुंचते है।
प्रार्थना पंाच बच्चो के साथ 11 में से 10 शिक्षक करते है। बच्चों के
प्रार्थना से ही लगा कि बच्चों के भविष्य के साथ शिक्षक खिलवाड़ करवां रहे
है। पंगु व्यवस्था पर प्रधानाध्यापक तपाक से बोल पड़ते है। खामियां की वजह
पर सीधे तौर पर जिम्मेदार प्रशासन व बीएसए हो ठहराते है। साथ ही गांव
वालों के ऊपर दोषारोपण मढ़ते है। अपने को हेड मास्टर पाक साफ बताने की
कोशिश करते है, लेकिन उनकी कलई विद्यालय के कई शिक्षक ही खोलते है।
गुरूजी को लेकर विद्यालय में तरह-तहर की चर्चाए होती रहती है। यह भी बयां
करते है कि पंजियन और उपस्थित छात्रों की संख्या में काफी अंतर रहता है।
विभाग पारदर्शी जांच कराए हो असलियत सामने आ जाएगी। उधर बीएसए कौस्तुभ
सिंह ने कहा है कि शासन के मनसा के विपरीत कार्य करने वाले शिक्षक हो या
फिर हेड मास्टर उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी। उन्होने कहा कि उच्च
प्राथमिक विद्यालय प्रथम में समय से शिक्षकों का न आना दुर्भाग्यपूर्ण
है। इसकी जांच कराई जाएगी।

प्रशासन पर फोड़ा गंदगी का ठीकरा

हसनपुर का प्राथमिक विद्यालय प्रथम एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय प्रथम
दोनों एक ही प्रांगण में चलते है। दोनों विद्यालयों की सफाई व्यवस्था
शासन एवं प्रशासन के दावें के एकदम उलट है। यहां पर शासन और प्रशासन के
स्वच्छता अभियान के फरमान का कोई फर्क नही पड़ा है। विद्यालय में चहुंओर
गंदगी का अम्बार है। एमडीएम का भोजन खाने के लिए जो टीनसेट बच्चों के लिए
बनवाया गया है। उसके चारों तरफ गंदगी है। जिसके बीच बच्चें अवकाश के समय
मंे भोजन करते है। पूरी ध्वस्त व्यवस्था का ठिकारा हेड मास्टर प्रशासन
एवं ग्रामीण पर ही फोड़ते है।

प्रा.वि. प्रथम को आईना दिखा रहा द्वितीय

हसनपुर प्राथमिक विद्यालय प्रथम से 150 और 300 मीटर की दूरी पर प्राथमिक
विद्यालय द्वितीय एवं उच्च प्राथमिक कन्यां विद्यालय हसनपुर गांव में ही
स्थित है। इन दोनों विद्यालयों की व्यवस्था प्राथमिक विद्यालय प्रथम को
आईना दिखा रहे है। विद्यालय प्रांगण, कमरों की सफाई एवं पढ़ते बच्चंे ही
सब कुछ बयां करते है। उच्च कन्या विद्यालय को देखने से ही गलता है कि
किसी प्राईवेट विद्यालय से कम नही यहां पर कम्प्यूटर से लेकर प्रोजेक्टर
तक लगा है। छात्र-छात्राओं का चेहरा ही चाक-चैबंध व्यवस्था को बयां करता
है। इन दोनों विद्यालयों के लिए गांव वाले गड़बड़ नही है, लेकिन प्राथमिक
विद्यालय प्रथम के लिए ग्रामीण गड़बड़ है। कुछ लोगों ने कहा कि गांव वालों
कम प्रधानाध्यापक प्रबंधन व्यवस्था में ही कमी है।