ईवीएम पर कोर्ट रूम कपिल सिब्बल ने जजों के तर्क का दिया जवाब

चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की जगह पुराने तरीके से यानी बैलेट पेपर के जरिए भविष्य में चुनाव कराए जाने से संबंधित बसपा सुप्रीमो मायावती की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज (गुरुवार को) सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग और केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है और 8 मई तक उनसे जवाब मांगा है। कोर्ट ने एडवांस ईवीएम यानी जिसमें वोटर वैरिफिकेशन पेपर ऑडिट ट्रे पेपर स्लिप (वीवीपीएट) मशीन लगा होता है, उसके इस्तेमाल में देरी पर भी दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया है। यह मशीन वोट देने के बाद पेपर स्लिप देता है, जो साफ-साफ बताता है कि मतदाता ने किस पार्टी को वोट किया है। पेपर स्लिप थोड़ी देर तक वोटर को दिखने के बाद बंद बक्से में गिर जाता है।

मायावती की तरफ से पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कोर्ट को बताया कि साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेश के बाद भी आज तक वीवीपीएट युक्त ईवीएम मशीन का इस्तेमाल नहीं हो सका है। चिदंबरम ने कहा कि आज भी 3000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने की आयोग की अर्जी केन्द्र सरकार के पास लंबित है। आयोग इन पैसों का इस्तेमाल उन्नत ईवीएम मशीनों को खरीदने के लिए करेगा। उन मशीनों से साल 2019 के आम चुनाव होने हैं।

चिदंबरम के सहयोगी और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने अपनी पार्टी का पक्ष रखते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीका के अलावा किसी भी देश में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता है। इस पर कोर्टरूम में मौजूद जज उन पर झल्ला उठे। जजों ने कहा, “मिस्टर सिब्बल, आपकी पार्टी ने ही देश में ईवीएम लागू किया है।” जजों ने कहा, “आप कैसे कह सकते हैं कि किसी और देश में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता है। ईवीएम से बूथ कैप्चरिंग और बैलेट बॉक्स की अदला-बदली रुकी है।” इस पर सिब्बल ने कहा कि टेक्नोलॉजी अपराजेय नहीं होती है। उन्होंने कहा, “पेंटागन भी तो हैक हो सकता है।”