कुलभूषण जाधव की फांसी के फैसले पर भारत ने अपनाया कड़ा रुख

नई दिल्ली: पाकिस्तान द्वारा भारतीय कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद भारत ने कड़ा रुख अख्तियार किया। भारत ने जेल में बंद करीब एक दर्जन पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई पर रोक लगाने का फैसला किया। जिन्हें बुधवार को छोड़ा जाना था। सरकार ने यह फैसला पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलदीप जाधव को फांसी की सजा सुनाए जाने के कुछ घंटे बाद लिया। टाइम्स ऑफ इंडिया ने अाधिकारिक सूत्रों हवाले से कहा कि सरकार को लगता है कि पाकिस्तानी कैदियों को रिहा करने का यह सही समय नहीं है। भारत और पाकिस्तान को अपनी जेल में बंद एक-दूसरे नागरिकों को सजा पूरी किए जाने के बाद रिहा किया जाना था। लेकिन जाधव पर आए फैसले के बाद भारत ने पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई पर रोक लगाने का फैसला किया है।

कुलभूषण जाधव मामले में सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने कहा कि उन्होंने मेरे भाई के साथ भी ऐसा ही किया था, मुझे आश्चर्य नहीं हो रहा। इस मामले पर रॉ के पूर्व चीफ एएस दौलत ने कहा कि पाकिस्तान में कुछ भी संभव है, उन्होंने तो अतीत में अपने एक प्रधानमंत्री को फांसी पर लटका दिया था। वहीं, मुंबई में जाधव के पड़ोस में रहने वाले सुधीर पवार का कहना है कि वह हैरान हैं। जाधव हमारे साथ रहता था, हम जानते हैं कि वह कैसा था। यह पाकिस्तान द्वारा रची गई साजिश है।

पाकिस्‍तान के इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने कहा है कि ‘जासूस का पाकिस्‍तानी आर्मी एक्‍ट के तहत फील्‍ड जनरल कोर्ट मार्शल के जरिए ट्रायल किया गया और मौत की सजा सुनाई गई। सेनाध्‍यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने मौत की सजा की पुष्टि की है।’ पाकिस्तान हमेशा ये कहता आया है कि कुलभूषण जाधव हिन्दुस्तान की खुफिया एजेंसी RAW का एजेंट है। पाकिस्तान की इस कार्रवाई पर भारत ने नाराजगी जाहिर की है और पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्‍दुल बासित को तलब किया है। बासित को डिमार्श जारी कर कहा गया है कि जाधव की सजा वाली कार्यवाही हास्‍यास्‍पद है। विदेश मंत्रालय के डिमार्श में कहा गया है, ”अगर कानून और न्‍याय के मूल सिद्धांतों का पालन नहीं होता तो भारत के लोग और सरकार इसे सोची-समझी हत्‍या समझेंगे।

जाधव को 3 मार्च, 2016 को बलूचिस्‍तान के मश्‍केल क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया था। जाधव पर जासूसी और कराची तथा बलूचिस्‍तान में अशांति फैलाने का आरोप है। पाकिस्तान के आरोपों को खारिज करते हुए भारत सरकार ने अपने आधिकारिक बयान में कहा था कि जाधव कभी इंडियन नेवी का सदस्य रहा है, और रिटायरमेंट के बाद से उसका भारत सरकार या इंडियन नेवी से कोई संपर्क नहीं रहा है।