लखनऊ:उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय के फारसी विभाग एवं बेदिल इंटरनेशनल फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह, फारसी विभाग के प्रमुख आरिफ अय्यूबी, डाॅ0 अम्मार रिज़वी तथा देश-विदेश से आये अन्य विद्धतजन उपस्थित थे।

राज्यपाल ने कहा कि संगोष्ठी में विचारों के मंथन से जो निष्कर्ष निकलेगा निश्चित रूप से उपयोगी होगा। यदि इस संबंध में केन्द्र या राज्य सरकार से कोई सहयोग अपेक्षित होगा तो वे निश्चित रूप से सेतु की भूमिका निभायेंगे। फारसी, अरबी, उर्दू, हिन्दी जैसी भाषायें आपस में बहनें हैं। शायद इनका डी0एन0ए0 एक ही है, इसलिये दक्षिण एशिया को जोड़ने का काम ये भाषायें करती हैं। भाषा एक दूसरे को जोड़ने का साधन हैं। सभी भाषाओं को उचित सम्मान और विकास का अवसर मिलना चाहिये। फारसी भाषा आज भी प्रासंगिक है। अदालतों में अभी भी फारसी शब्दों का उपयोग होता है। फारसी भाषा के कारण ही ऐतिहासिक ईमारतों में फारसी शैली देखने को मिलती है। फारसी में रोजगार की नयी संभावनायें तलाशनी होंगी। उन्होंने कहा कि अनुवादक के रूप में भी फारसी की उपयोगिता है।

श्री नाईक ने रामपुर रज़ा लाईब्रेरी की बात करते हुये कहा कि रामपुर रज़ा लाईब्रेरी केवल उत्तर प्रदेश या देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपने बेजोड़ संग्रह के लिये जानी जाती है। लाईब्रेरी में लगभग 17,000 अरबी, फारसी, संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, तुर्की और पश्तों जुबान की हस्तलिखित पाण्डुलिपियाँ हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामिनाई को मिर्जा गालिब का दीवान और फारसी में रामायण रामपुर रज़ा लाईब्रेरी से लेकर भेंट किया था। उन्होंने कहा कि रामपुर रज़ा लाइबे्ररी को और समृद्ध करने के लिये यदि संगोष्ठी के माध्यम से कोई सुझाव आयेगा तो वे लाइबे्ररी के अध्यक्ष के नाते निश्चित रूप से उस पर विचार करेंगे।