ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह सम्पन्न

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय, लखनऊ के प्रथम दीक्षान्त समारोह में एकरार हुसैन को ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती स्वर्ण पदक, निदा खान को कुलाधिपति पदक, मोहम्मद हारून को कुलपति पदक सहित सफीना जहरा, हितेश सिंह, अहमद नकीब गुफरान, मोहम्मद हारून, सुनेहा यादव, सोनू साहू और निदा खान को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डाॅ0 अशोक कुमार लाहिरी पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार भारत सरकार, कुलपति प्रो0 खान मसूद अहमद, कार्यपरिषद के सदस्यगण, शिक्षकगण एवं छात्र-छात्रायें उपस्थित थे। राज्यपाल ने कहा कि 2015 में उपाधि प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालय के प्रथम बैच के छात्र-छात्राओं के लिये अलगे से दीक्षान्त समारोह आयोजित करके उपाधि प्रदान की जायेंगी।

राज्यपाल ने इस अवसर पर उपाधि प्राप्तकर्ताओं को अपनी शुभकामना देते हुये कहा कि 2025 तक भारत विश्व का सबसे युवा देश होगा। हमारी युवा पीढ़ी गलत रास्ते पर न जाये, समाज को देखना होगा। युवा पीढ़ी को पूंजी के रूप में स्थापित करें। उपाधि प्राप्त छात्र-छात्राओं का आह्वान करते हुये उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये निरन्तर परिश्रम करें। विश्वास से आगे बढे़ंगे तो सफलता मिलेगी। असफल होने पर उसका विश्लेषण करें। पूर्व राष्ट्रपति स्व0 डाॅ0 कलाम को उद्धृत करते हुये राज्यपाल ने कहा कि डाॅ0 कलाम कहते थे ‘सपने वे होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।’ उन्होंने कहा कि देश को आगे ले जाने में युवाओं का योगदान महत्वपूर्ण है।

श्री नाईक ने कहा कि दीक्षान्त समारोह के साथ ही उपाधि प्राप्तकर्ता नये जीवन में प्रवेश करने जा रहे हैं। कुलपति द्वारा दी गयी सलाह को आत्मसात करें तथा दीक्षा के अनुसार ली गयी शपथ का पालन करें। सूचना क्रांति के दौर में दुनिया सिमट रही है। विश्व की कड़ी स्पर्धा के लिये कठोर परिश्रम करें। जीवन में सफलता एवं व्यक्तित्व विकास के चार मंत्र बताते हुये राज्यपाल ने कहा कि सदैव मुस्कुराते रहें, दूसरों की सराहना करना सीखें, दूसरों की अवमानना न करें क्योंकि यह गति अवरोधक का कार्य करती हैं, अहंकार से दूर रहें तथा हर काम को अधिक अच्छा करने पर विचार करें।

राज्यपाल ने कहा कि दीक्षान्त समारोहों में महिला सशक्तीकरण का अलग से चित्र दिख रहा है। बिना आरक्षण छात्रायें आगे जा रही हैं जो देश के लिये शुभ संकेत है। महिलायें हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, पैसठ से सत्तर प्रतिशत पदक छात्रायें प्राप्त कर रही हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में आज 245 छात्र-छात्राओं को उपाधि मिली है जिसमें 173 लड़के हैं और 72 लड़कियाँ है यानि 71 प्रतिशत लड़के हैं और 29 प्रतिशत लड़कियाँ हैं। आज के दीक्षान्त समारोह में 5 लड़कों और 5 लड़कियों को स्वर्ण पदक मिले हैं जिससे यह साफ परिलक्षित होता है कि लड़कियाँ पढ़ाई में गंभीर हैं इसलिये आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा अब पटरी पर आ रही है तथा दीक्षान्त समारोह भी समय से सम्पन्न हो रहे हैं।

दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि अशोक लाहिरी ने स्वामी विवेकानन्द को उद्धृत करते हुये कहा कि लक्ष्य की प्राप्ति तक निरन्तर प्रयास करते रहो। समय बदल रहा है। हर क्षेत्र में प्रगति हो रही है। छात्रगण ‘हम परिवर्तन ला सकते हैं’ को अपना घोष वाक्य बनायें। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता। गुणवत्ता से समझौते का प्रतिकूल प्रभाव हमारी संस्कृति, विज्ञान और समाज पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमारे युवा ‘हम कर सकते हैं’ के आधार पर नयी संभावनायें तलाशें।

कार्यक्रम में कुलपति प्रो0 खान मसूद अहमद ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत की। दीक्षांत समारोह में रामपुर रजा लाईब्रेरी ने अपने प्रकाशन की प्रदर्शनी भी लगायी थी।