लखनऊ। सूबे का मुस्तकबिल बदलने की सलाहियत है योगी जी में बशर्ते सच्चे
राज-धर्म का पालन हो। सन्यासी से उत्तर-प्रदेश की सियासत के शिखर पर
पहुँचे योगी आदित्यनाथ के सूबे के वजीर-ए-आली बनने पर हुदैबिया कमेटी के
नेशनल कन्वेनर और माइनॉरिटी सोशल एक्टिविस्ट बरेली निवासी डॉ.एस.ई.हुदा
ने हुदैबिया कमेटी की लखनऊ ब्रांच की एक बैठक के दौरान लखनऊ में प्रेस को
संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर-प्रदेश के अल्पसंख्यक समुदाय खास तौर से
मुस्लिम समाज को योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने पर बिलकुल घबराने और
असुरक्षित महसूस करने की जरुरत नहीं है। डॉ.हुदा ने कहा कि योगी जी नाथ
पंथ के उत्तराधिकारी हैं जिसकी परंपरा हमेशा से मानवता की सेवा रही है
मुझे उम्मीद है कि योगी जी उसी परंपरा का निर्वह करते हुये सूबे का विकास
करेंगे और सभी समाज के लोगो को साथ ले कर चलेंगे। डॉ हुदा ने कहा कि राजा
के इन्साफ की आँख सबके लिये बराबर होती है मुझे उम्मीद है कि योगी जी के
शासन में सबको बराबर का इन्साफ मिलेगा। डॉ हुदा ने मुस्लिम वोटों के बल
पर सत्ता का सुख भोगने वाली सियासी जमातों पर आरोप लगाते हुये कहा कि
दरअसल ऐसी सियासी जमातों की वजह से ही आज मुस्लिम समाज अलग-थलग पड़ता नजर
आरहा है, योगी जी इस वास्तविकता को बखूबी समझेंगे और युवाओं के लिये
शिक्षा तथा रोजगार के बराबर के अवसर मुहैया कराएँगे जिससे समाज सम्मान के
साथ अपनी जिन्दगी गुजर कर सके। गौकशी पर बोलते हुये डॉ हुदा ने कहा कि
हमारे नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्ललाहो अहलीवासल्लम का इरशादे गिरामी है ने
कहा है कि गाये के दूध में शिफा है इसलिये तत्काल गौकशी पर कठोर कदम
उठाये जाने चाहिये तथा दोषियों पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए चाहे वो
किसी भी समाज से ताल्लुक रखता हो। योगी जी के कट्टरपंथी के सवाल पर डॉ
हुदा ने कहा कि अपने पंथ यानी मजहब को कट्टरता से पालन करने वाला ही
दूसरे मजहब को भी बराबर का सम्मान देता है। दरअसल यदि सब समाज के लोग
अपने मजहब के पक्के हो जाएं तो देश से साम्प्रदायिकता का दानव ही समाप्त
हो जाए। योगी आदित्यनाथ के पूर्व के बयानों के विषय में डॉ हुदा ने कहा
कि तस्वीर के दोनों रुख देखिये। सिर्फ एक रुख को देख कर अपनी राय कायम कर
लेना नासमझी है, यदि योगी जी ने कठोर बोला है तो उसके मूल में उन सुवयंभु
मुस्लिम नेताओं के बयान हैं जिन्होंने आज मोआशरे को इस हालात में पंहुचा
दिया है कि शिक्षा एवं रोजगार में हमारी हालात दलितों से भी बत्तर है और
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट इसकी सिर्फ बानगी भर है जमीनी हालात रिपोर्ट से
भी खराब हैं। ज्ञात रहे की की डॉ.हुदा अल्पसंख्यक सामाज खास तौर से
मुस्लिम संमाज की शिक्षा, रोजगार एवम सामाजिक उत्थान के लिये काफी समय से
प्रयासरत है एवम तुष्टिकरण की सियासत के खिलाफ लंबे समय से संघर्ष कर रहे
हैं।गौरतलब है कि 400 से ज्यादा दंगे, अराजकता, लूट और मुजफ्फरनगर में
हुए सांप्रदायिक दंगों के खिलाफ उन्होंने समाजवादी पार्टी के खिलाफ
मोर्चा खोल दिया था तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को तल्ख लहजे
में पत्र भी लिखा था। डॉ हुदा ने इस विधान सभा चुनाव में अपनी सधी हुयी
एवम आक्रामक तकरीरों के माध्य्म से पूरी उ.प्र में समाजवादी पार्टी के
प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव प्रचार किया था तथा उन्होंने समाजवादी
पार्टी का सूपड़ा साफ करने का बीड़ा उठाते हुये अपनी मुहीम को परवान चढाने
के लिये रात-दिन एक कर दिया था। अंत में डॉ हुदा ने कहा कि अगर कसम खाने
से मर जाता है कोई, तो मैं समस्यायों की कसम खाता हूं। ‘‘वो जो मेरा
मुखालिफ भी है, मेरा हमनवां भी है’’ ‘‘वो शख्स सिर्फ बुरा ही नहीं भला भी
है, सवाल नींद का होता तो कोई बात न थी’’ अब हमारे सामने हमारे मुस्तकबिल
के ख्वाबो का मसअला भी है।