संगोष्ठी ‘‘ गैर मंुस्लिम लेखकों की हम्द और नात में भूमिका‘‘ एवं ‘‘पुस्तक विमोचन समारोह‘‘

लखनऊ: ऐस्ट्रल ऐजुकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसाइटी एंव राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद्,नई दिल्ली के तत्वावधान में संगोष्ठी ‘‘हम्द और नात में गैर मंुस्लिम लेखकों की भूमिका‘‘ एवं ‘‘पुस्तक विमोचन समारोह‘‘ का आयोजन हिन्दी मीडीया सेन्टर, विनीत खण्ड गोमती नगर में किया गया जिसकी अध्यक्षता पद्म्श्री प्रो0 आसिफा ज़मानी ने की । जिसमें मुख्य रूप से गैर मंुस्लिम लेखकों की हम्द और नात में भूमिका एवं योगदान पर पर चर्चा करते हुए कृष्णकुमार सिंह ‘मयंक‘ अकबराबादी की करम ब करम, बालाजी तिर्मीक, लाला रामप्रसाद राम, छन्नुलाल दलगीर, ललिता प्रसाद ‘शाद‘, राय सुधनाथ ‘बली‘, दुल्लुराम ‘कौसरी‘, के द्वारा लिखे गये मर्सिया, कृष्ण बिहारी, निकुन्ज मिश्रा ‘किशवर‘ प0 बृजनरायण चकबस्त, नन्हेलाल ‘आजिज़‘, के द्वारा लिखी गई स्तुति श्री परमात्मा, आरजु़ सहारनपुरी द्वारा लिखी गइ बहारीसतान औलिया और अबरार कृतपुरी द्वारा लिखी गई वराफाना लका ज़िकरक पर चर्चा की गई । कार्यक्रम में डा0 साजिद गुफरान द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘हिन्दु लेखकों की हम्द में भुमिका‘‘ का विमोचन भी किया गया

कार्यक्रम में लेखिका सलमा हिजाब और प्रोफेसर एस0 एन0 लाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और प्रो0 निकुन्ज मिश्रा , डा0 हारून राशीद , डा0 साजिद गुफरान, डा0 मसीहुद्दीन खाँ ‘मसीह‘, डा0 सादिया शारिक ने मुख्य रूप से अपने-अपने विचार व्यक्त किये इस

संगोष्ठी में पढे गये गैर मंुस्लिम लेखकों की हम्द और नात की पंक्तियां

निराली शान है तेरी हर एक शै में बसा तू है ।

सभी कुछ तुझसे वाबस्ता मगर सबसे जुदा तू है ।।

हम्द ( कृष्णकुमार सिंह ‘मयंक‘ अकबराबादी )

हम हुसैनी बरहमन है हम को इस का ज्ञान है ।

हक़ की खातिर जान देने मे वफा की शान है ।।

मर्सिया ( कृष्णकुमार सिंह ‘मयंक‘ अकबराबादी )

हर शै तेरे जमाल की आईनेदार हर शै पुकारती है परवरदार है ।

आँख की , रौशन दिल की, आवाज़ तू था भी तू है भी तू , है भी तू ही तू ।।

हम्द (आचार्य प्रमोद कृष्णम)

मेरे सीने की धड़कन है मेरी आँखो के तारे, सहारा बेसाहारो का खुदा के वह दुलारे है।

समझकर तुम फकत अपना उन्हें तकसीम ना करना नबी जितने तुम्हारे है नबी उतने हमारे है ।।
नात (आचार्य प्रमोद कृष्णम)

संगोष्ठी में श्री प्रो0 निकुन्ज मिश्रा , डा0 हारून राशीद , डा0 साजिद गुफरान, डा0 मसीहुद्दीन खाँ ‘मसीह‘, डा0 सादिया शारिक अपनी लेखनी द्वारा ‘‘हिन्दु लेखकों की हम्द में भुमिका‘‘ पर विषेश रूप से प्रकाश डाला ।