कोच्चि: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरसएसएस) के विदेशी मामलों के एक पदाधिकारी ने मीडिया पर विदेशों में भारतीयों पर होने वाले ‘‘छिटपुट हमलों’’ को ‘‘बढ़ाचढ़ा’’ कर पेश करने का आरोप लगाया है. उनके अनुसार कुछ छिटपुट हमले हो रहे हैं, लेकिन उन्हें काफी बड़ा बता दिया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ भारतीयों की भी गलती रही है और हमें हर चीज को एक ही तराजू पर नहीं तौलना चाहिए. हालांकि उन्होंने इन हमलों की तीखी आलोचना भी की.

आरएसएस विश्व विभाग के समन्वयक सदानंद सप्रे ने विदेश में भारतीयों पर हमलों की तीखी आलोचना की और कहा कि ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जानी चाहिए. उन्होंने सोमवार को कहा, ‘मीडिया कई बार घटना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है. हां कुछ घटनाएं प्रचार करने के लायक हैं और यही मीडिया की प्रकृति है.’

अमेरिका में हाल ही में भरतीयों पर हुए हमलों के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘परिदृश्य का सामान्यीकरण मत कीजिए.’ सप्रे ने युगांडा में 1960 के दशक में भारतीयों पर हुए हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि वहां प्रत्येक भारतीय पर हमला किया गया और उसे देश से बाहर निकाला गया खासतौर पर ईदी अमीन के शासन के दौरान. उन्होंने प्रश्नात्मक लहजे में पूछा, ‘क्या यह सब अमेरिका में हो रहा है? यह ऑस्ट्रेलिया में हो रहा है?’

सप्रे ने कहा, ‘हमें सबकुछ एक ही ब्रैकेट में नहीं रखना चाहिए. भारतीयों की रक्षा के लिए वहां बहुत से अमेरिकी हैं.’ सप्रे यहां आयोजित एक कार्यक्रम के बाद आयोजित बातचीत सत्र में अमेरिका में भारतीयों पर हमलों के संबंध में पूछे जा रहे प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे. ऑस्ट्रेलिया के मेल्बर्न में भारतीयों पर हमलों का जिक्र करते हुए सप्रे ने कहा कि कुछ मामलों में गलती भरतीयों की होती है.

उन्होंने कहा, ‘मेलबर्न घटना पर मीड़िया की रिपोर्टों से ऐसा लगता था कि सभी भरतीयों को निशाना बनाया जा रहा है, इसलिए मैंने स्थानीय लोगों से बातचीत की और उन्होंने कहा ऐसा नहीं है (इस मामले में) ऐसा नहीं है कि सभी भारतीयों को निशाना बनाया जा रहा है. चीजों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करना मीड़िया की आदत है.’