लखनऊः अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राजभवन में कार्यरत महिला कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हमें आत्मावलोकन करने की आवश्यकता है कि महिलाओं को अब तक उनके कौन से अधिकार मिले हैं और कितना मिलना शेष है। पाश्चात्य देश में महिलाओं को अपने अधिकार के लिये संघर्ष करना पड़ा, मगर आजाद भारत में उन्हें संविधान के साथ-साथ समानता एवं समान अधिकार दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि यह गौर करने की जरूरत है कि महिलाओं को समान अधिकार के साथ-साथ समान अवसर भी प्राप्त हुये हैं या नहीं।

राज्यपाल ने कहा कि हमारे देश में महिलाओं का गौरवशाली इतिहास रहा है। हमारे देश में महिलाओं ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यपाल, मुख्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया है। हर क्षेत्र में महिलायें आगे बढ़ रही हैं जो अभिनंदनीय है। अनुकूल वातावरण मिलता है तो बेटियाँ मेहनत के आधार पर आगे बढ़ती हैं। लिंग भेद, भ्रूण हत्या, दहेज तथा महिलाओं को पुरूषों से कम आंकना अपरिपक्व सोच है। इस स्थिति को परिवर्तित करने के लिये सकारात्मक प्रयास करने होंगे। सामाजिक स्तर पर महिला-पुरूष के बीच बराबरी को व्यवहार में लाने की जरूरत है। महिलाओं में प्रतिभा है। उन्होंने कहा कि महिलायें अपनी योग्यता एवं प्रतिभा को साबित करते हुये स्वयं अपनी जगह बनायें।

श्री नाईक ने कहा कि वे 29 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं। 20 विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह सम्पन्न हो चुके हैं। 4 विश्वविद्यालय नये होने के कारण, वहाँ के छात्र-छात्रायें स्नातक स्तर तक नहीं पहुँचे हैं। शेष विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह अपै्रल माह तक सम्पन्न हो जायेंगे। परीक्षाओं में यह पाया गया है कि 64 प्रतिशत पदक छात्रायें प्राप्त कर रही हैं। लड़कियाँ शिक्षा के प्रति ज्यादा गंभीर हैं जबकि शिक्षा के साथ-साथ वे घर के काम में भी हाथ बटाती हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह महिला सशक्तिकरण का एक चित्र है जिसे आगे ले जाने की जरूरत है।

कार्यक्रम में श्रीमती कुंदा नाईक ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि वे पूर्व में शिक्षिका रह चुकी हैं। अपने अनुभव को साझा करते हुये उन्होंने कहा कि सामाजिक स्तर पर काफी सुधार आया है मगर अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को उचित सम्मान देने एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाये जाने की आवश्यकता है।

प्रमुख सचिव राज्यपाल सुश्री जूथिका पाटणकर ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुये कहा कि डाॅ0 अम्बेडकर द्वारा बनाये गये संविधान में महिलाओं को पूरा संरक्षण एवं समान अधिकार मिला है। महिलाओं को समान अवसर, समान स्थान तथा आर्थिक स्वतंत्रता के साथ-साथ राजनैतिक अधिकार मिलना चाहिये। उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं के प्रति नजरिया बदला है यद्यपि उनके प्रति अधिक संवेदनशीलता की आवश्यकता है।

सचिव श्री राज्यपाल चन्द्र प्रकाश ने राज्यपाल की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के ‘महिलाओं की सुविधाओं के लिये जद्दोजहद’ विषयक शीर्षक से कुछ अंश जैसे महिलाओं के लिये शौचालय, सांसद एवं विधायक निधि से पानी के नल, रेल दुर्घटना में बीमा सुरक्षा का प्राविधान, महिला स्पेशल, बेबी फूड, स्तनपान प्रोत्साहन, कारगिल के शहीदों की पत्नियों के लिये गैस एजेन्सी और पेट्रोल पम्प आदि पढ़कर सुनाये।