लखनऊ: तीन…दो…एक…और ये गया…और पलक झपकते ही वो आसमान की ऊंचाइंयों को छूने लगा, इस बीच दूसरे लांच पैड पर अगले प्रक्षेपण की तैयारी हो चुकी है और एक बार फिर काउंटडाउन का शोर मचने लगा। एमिटी यूनिवर्सिटी में लखनऊ के प्रतिष्ठित स्कूलों से आए हुए 200 से भी अधिक छात्र-छात्राओं का उत्साह अपने चरम पर था। मौका था ‘‘इंस्पायर’’-2017 इंटर्नशिप प्रोग्राम के तीसरे दिन राकेट साइंस को जानने-समझने के बाद खुद के बनाए राकेट मॉडलों को उड़ाने का।

साइंस और तकनीकि विभाग भारत सरकार द्वारा एमिटी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इन्नोवेशन इन साइंस परस्यूट फार इन्सपायरड रिसर्च ‘‘इन्सपायर’’ कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को विज्ञान में रुचि बढ़ाने और उन्हे भविष्य के वैज्ञानिक बनने के लिए प्रेरित करने हेतु किया जा रहा है।
आज इन्टर्नशिप कार्यक्रम के तहत स्पेस, दिल्ली संस्था के राकेट साइंस के विशेषज्ञों ने छात्रों को राकेट साइंस की जानकारी दी। उन्हांने बताया कि एक राकेट किन सिद्धांतों पर कार्य करता है, वो कौन सी तकनीकि है जिससे वह पृथ्वी के वायुमंडल को छोड़कर ब्रह्माण्ड की ऊंचाई नापने लगता है। विशेषज्ञों ने छात्रों को राकेट के कार्यकारी मॉडल बनाने का तरीका सिखाया एवं उनकी निगरानी में निर्मित वायुदाब चालित राकेटों का छात्रों ने सफलता पूर्वक प्रक्षेपण भी किया।

राकेट प्रेक्षेपण के दौरान विद्यार्थियों ने दूरबीन की सहायता से सूर्य का अवलोकन भी किया।
दिन के दूसरे सत्र में छात्रों को फोरेंसिक साइंस के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इस विषय पर विद्यार्थियों को बताने के लिए फोरेंसिक साइंस प्रयोगशाला, लखनऊ के रसायन विज्ञान डिवीजन के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एएम. खान बतौर विशेषज्ञ बच्चों के बीच मौजूद रहे।

फोरेंसिक विज्ञान के बारे में बताते हुए प्रोफेसर एएम. खान ने विद्यार्थियों किसी अपराध और अपराध स्थल का निरीक्षण करने के बारे मेब बताया। घटना स्थल से खून, मिट्टी, नाखून, बाल, पद चिन्ह और उंगलियों के निशान इकट्ठे करने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।

इसके पश्चात सभी छात्रों ने एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटैक्नॉलाजी और एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी की अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया और वैज्ञानिक प्रयोगों के आधुनिक उपकरणों के विषय में जानकारी हासिल की। प्रयोगशाला में प्रतिभागियों ने कोशिका विभाजन, जैविक इंर्धन आदि से जुडे प्रयोग करने के साथ पैरासीटामाल और गुलाबजल का निर्माण भी किया।

इर्न्टनशिप के इस कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों के 200 से भी अधिक मेधावी छात्र-छात्राएं भाग ले रहीं हैं। यह विद्यार्थी पांच दिनों तक राष्ट्रीय वैज्ञानिकों से आधुनिक विज्ञान और तकनीकि विषयों का प्रशिक्षण और जानकारी प्राप्त करेंगे।