सुलतानपुर। कूरेभार के कसमऊ गॉव में रह रहे एक ऐसे परिवार जिसमें बारह सद्स्य गूंगे है। जिसमें अधिकतर बेटियांं है, संस्था भारत-भारती को जब यह पता चला तो स्थलीय निरीक्षण करने हेतु वहां टीम गई। घटना की सत्यता पता चलते ही परन्तु टीम वापस शहर में आकर एक बढ़िया सिलाई मशीन, जिससे कि एक
परिवार की बेटी आफरीन को आजीविका का एक साधन मयस्सर हो जाय, खरीद कर उस परिवार को समर्पित किया, ताकि इस परिवार के लोगों को रोजी-रोटी का एक जरिया मिल सके।

परिवार में मुखिया अय्यूब (55वर्ष) से पता चला कि उसकी मॉ. व दो बहने भी गूंगी है। आफरीन सहित चार बहनें एक बेटा एवं बहू व अन्य नन्हें बच्चे भी वाणी से वंचित है। पूरा परिवार इशारों में बातें करता एवं समझता है। ग्राम प्रधान वासित से मुलाकात नहीं हो पाई। स्थानीय प्रशासन के द्वारा जो भी मदद इमदाद मिलता है वहीं इनके गुजर-बसर का जरिया है। ऐसे दिव्यांग परिवार की मदद करने भारत-भारती के संस्थापकाध्यक्ष सुन्दरलाल टण्डन, सचिव प्रदीप पारोलिया, सहसचिव राम मिलन गुप्त ने कदुरती मार से पीड़ित परिवार को उसके दर्द से सहभागी बनते हुए आजीविका का साधन उपलब्ध कराया। परिवार का एक दर्द यह है कि खपरैल गिर गया है और मिट्टी की दीवाल कभी भी गिर सकती है। कोई शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधि, स्वयंसेवी संस्था यदि इनकी इस वेदना को दूर कर सके तो बारह जोड़ी ऑखों में वही कृतज्ञता का भाव पुनः परिलक्षित होगा। जिसे आज संस्था भारत-भारती में बड़ी शिद्दत से महसूस किया। इस परिवार की आवाज को संस्था तक पहुंचाने का श्रेय भारत-भारती द्वारा लोकरत्न से विभूषित नाहिद अकील (प्रमुख समाज सेविका) को जाता है। जिन्होंने एक पत्रिका में प्रकाशित सन्तोष यादव के लेख को पढ़ा, जिसमें इस गरीब और दिव्यांग परिवार के बारे में लिखा था। उक्त लेख से द्रवित होकर लोकरत्न के साथ दी जाने वाली धनराशि रूपया 5000 को संस्था को समर्पित करे हुए यह कहा था कि इस धनराशि से उक्त पीड़ित परिवार को ढूंढंकर मदद कर दी जाये। भारत-भारती ने उनके सौजन्य से इस कार्य को समाज के इस वंचित परिवार की मदद करके पूरी ईमानदारी से निर्वहन किया।