नई दिल्ली: वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना(मनरेगा) के लिए वित्‍तीय वर्ष में 48 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। उन्‍होंने इस बारे में कहा, ”मनरेगा के लिए बजट आवंटन साल 2016-17 के 37 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 48 हजार करोड़ रुपये किया जाता है।” वित्‍त मंत्री ने कहा कि मनरेगा के लिए यह किसी भी सरकार की ओर से आवंटित की गई सर्वाधिक राशि है। जेटली का यह बयान काफी मायने रखता है। क्‍योंकि लोकसभा में अपने भाषण के दौरान खुद प्रधानमंत्री ने मनरेगा को यूपीए सरकार की विफलताओं का स्‍मारक बताया था।

मोदी ने 2015 में राष्‍ट्रपति के अभिभाषण के जवाब में मनरेगा पर हमला बोलते हुए कहा था, ”आप मनरेगा बंद कर देंगे, या आपने मनरेगा बंद कर दिया। बाकी विषयों पर मेरी क्षमताओं पर संदेह होगा। लेकिन एक बात तो आप भी मानते होंगे कि मेरी राजनीतिक सूझबूझ तो है। मेरी राजनीतिक सूझबूझ यह कहती है कि मनरेगा को कभी बंद मत करो। क्‍योंकि , क्‍योंकि मनरेगा आपकी विफलताओं को जीता जागता स्‍मारक है। आजादी के 60 साल बाद आपको लोगों को गड्ढ़े खोदने को भेजना पड़ा यह आपकी विफलताओं का स्‍मारक है। मैं गाजे-बाजे के साथ इस विफलता का ढोल पीटता रहुंगा। दुनिया को बताऊंगा कि यह गड्ढ़े जो आप खोद रहे हैं यह 60 सालों के पापों का परिणाम है। मनरेगा रहेगा, आन-बान-शान के साथ रहेगा। गाजे-बाजे के साथ दुनिया को बताया जाएगा।”

साल 2017-2018 पेश करते हुए अरुण जेटली ने बताया कि मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। जेटली ने कहा, ”मनरेगा में महिलाओं की भूमिका बढ़कर 45 से 55 प्रतिशत हो गई है। मनरेगा के क्रियान्‍वयन की निगरानी के लिए स्‍पेस तकनीक का इस्‍तेमाल किया जाएगा।”