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नोटबंदी: 18 लाख लोगों से इनकम टैक्स करेगा पूछताछ

नई दिल्ली: आयकर विभाग ने बीते साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद संदिग्ध राशि जमा कराने वाले 18 लाख करदाताओं की पहचान की है. आयकर अधिकारियों का मानना है कि इन करदाताओं का नोटबंदी के बाद का लेनदेन उचित सीमा के बाहर का लग रहा है. राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि नोटबंदी के बाद जमा हुई राशि की जांच पड़ताल की इस प्रक्रिया को 'ऑपरेशन क्लीन मनी' नाम दिया गया है. इसमें आंकड़ों का विश्लेषण करने वालों को 9 नवंबर, 2016 से 30 दिसंबर, 2016 तक का आंकड़ा (जमा कराई गई बंद हो चुकी मुद्रा का आंकड़ा) जांच के लिए उपलब्ध कराया गया है.

अधिया ने कहा कि इन करदाताओं में वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने पांच लाख रुपये से अधिक की नकदी जमा की है. विभाग ऐसे लोगों को ईमेल और एसएमएस भेजकर उनके धन के स्रोतों के बारे में स्पष्टीकरण मांगेगा. इन लोगों को टैक्स विभाग से किसी नोटिस या आगे प्रवर्तन कार्रवाई से बचने के लिए 10 दिनों के भीतर जवाब देना होगा. ऑनलाइन जवाब दाखिल करने में किसी तरह की दिक्कत आने पर 1800-4250-0025 पर हेल्प डेस्क से संपर्क किया जा सकता है.

राजस्व सचिव ने बताया कि ऑपरेशन क्लीन मनी (स्वच्छ धन अभियान) एक प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर है, जिसका इस्तेमाल सभी जमाओं पर जवाब प्राप्त करने के लिए किया जाएगा और लोगों से प्रारंभिक जवाबों के बाद ही यदि जरूरत पड़ी तो हम उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्र ने कहा कि शुरुआती चरण में उन लोगों के डेटा खंगालेंगे जिन्होंने 8 नवंबर के बाद 5 लाख रुपये या इससे अधिक नकदी जमा की और तीन लाख रुपये से पांच लाख रुपये के बीच संदिग्ध प्रकृति की नकदी जमा की और उनका टैक्स अनुपालन का रिकॉर्ड खराब रहा है.' शुरुआत में इसके तहत 18 लाख करदाता आएंगे, जिनके डेटा ई-फाइलिंग पोर्टल पर अपलोड किए जाएंगे. इन लोगों को जवाब दाखिल करते समय टैक्स विभाग को जमा के स्रोतों के बारे में बताना होगा.

चंद्र ने कहा कि टैक्स डिपार्टमेंट ने भारी भरकम आंकड़े जुटाए हैं, जिससे पता चलता है कि ऐसे एक करोड़ से अधिक खाते हैं, जिसमें दो लाख रुपये से अधिक रकम जमा की गई है और इसमें 70 लाख लोगों के पैन नंबर हैं. उन्होंने कहा, 'हमने इन आंकड़ों का आय, कारोबार और आयकर टैक्स डेटा बैंक के पास उपलब्ध आय के अन्य विवरणों से मिलान किया है. पहले चरण में जहां खाते में जमा हमारे आंकड़ों से मेल नहीं खातीं है, हम उन्हें अपने ई-फाइलिंग पोर्टल पर डाल रहे हैं और आय के स्रोत की जानकारी मांग रहे हैं.' इस योजना का उद्देश्य करदाता को किसी तरह की परेशानी से बचाना है, ताकि उन्हें कार्यालय आने की जरूरत न पड़े और ऑनलाइन सत्यापन पूरा हो जाए.

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