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मनमोहन ने पात्रा के आरोपों को किया ख़ारिज

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्तमंत्री पी. विदंबरम ने सोमवार को भाजपा के उस आरोप को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि दोनों नेताओं ने शराब कारोबारी विजय माल्या को ऋण दिलाने में मदद की थी. कांग्रेस के दोनों वरिष्ठ नेताओं ने जोर देकर कहा कि माल्या के पत्र उन सैकड़ों पत्रों के हिस्सा हैं, जो नियमित तौर पर तत्कालीन संप्रग सरकार को मिलते रहते थे

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने माल्या की तरफ से मनमोहन और चिदंबरम को लिखे गए कई पत्रों का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि दोनों ने अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस को बचाने के लिए भारी ऋण दिलाने में माल्या की मदद की थी. कांग्रेस ने इस आरोप को खारिज करते हुए माल्या के ऋण माफ करने और उसे देश से भागने को लेकर भाजपा तथा नरेंद्र मोदी सरकार पर उंगली उठाई.

मनमोहन सिंह ने यहां मीडिया से कहा कि किसी भी सरकार के सभी प्रधानमंत्रियों और अन्य मंत्रियों को विभिन्न उद्योगपतियों की ओर से पत्र प्राप्त होते हैं, जिसे हम सामान्य प्रक्रिया के तहत उचित प्राधिकारी के पास भेज देते हैं. मैंने यही किया और पूरे संतोष के साथ कि हम कुछ ऐसा नहीं कर रहे थे जो देश के कानून के खिलाफ था. मनमोहन ने पात्रा के आरोपों पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि जिस पत्र का जिक्र किया गया है, वह एक साधारण पत्र के सिवा कुछ नहीं है, जिसके साथ मेरी जगह कोई भी सरकार होती तो वही करती. यह एक नियमित प्रक्रिया थी.

चिदंबरम ने पात्रा के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि मनमोहन सिंह ने अपने तत्कालीन प्रधान सचिव से कहा था कि माल्या की मदद सुनिश्चित कराई जाए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय या अन्य मंत्रालयों को लिखे गए पत्रों को संबंधित अधिकारी के पास भेजना एक नियमित कामकाज है. चिदंबरम ने कहा कि यदि पीएमओ को प्राप्त हुए किसी पत्र को प्रधान सचिव के पास भेजा जाता है और उसके बाद संबंधित विभाग को भेजा जाता है तो यह सामान्य-सी बात है.

उन्होंने कहा कि सरकार, खासतौर से पीएमओ या वित्तमंत्री कार्यालय को प्रतिदिन सैकड़ों पत्र प्राप्त होते हैं. कोई भी मंत्री व्यक्तिगत तौर पर इन पत्रों को नहीं देखता और उन्हें संबंधित अधिकारियों के पास भेज दिया जाता है, जो उस पर आगे की उचित कार्रवाई करते हैं. पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि मौजूदा सरकार से पूछिए कि पिछले तीन वर्षों से क्या उन्हें पत्र प्राप्त हुए हैं या नहीं. यदि वे कहते हैं कि उन्हें कोई पत्र नहीं प्राप्त हुआ है, तो यह सरकार के कामकाज की गंभीर स्थिति को जाहिर करती है.

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