नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद विधानसभा प्रत्याशियों के लिए नकदी निकासी की साप्ताहिक सीमा को बढ़ाने के चुनाव आयोग के अनुरोध को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा खारिज कर दिए जाने पर आयोग ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. आयोग ने बुधवार को आरबीआई से प्रत्याशियों की नकदी निकासी की साप्ताहिक सीमा 24,000 रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये करने का अनुरोध किया था. आयोग का कहना था कि नोटबंदी के बाद लागू सीमा से उम्मीदवारों को प्रचार का खर्च निकालने में मुश्किल आएगी. उधर, आरबीआई ने निकासी की सीमा बढ़ाने में असमर्थता जताई.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग ने आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को पत्र लिखा है. चुनाव व्यय के डायरेक्टर जनरल दिलीप शर्मा ने आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को लिखे पत्र में कहा, "ऐसा लगता है कि आरबीआई को स्थिति की गंभीरता का अंदाजा नहीं है. निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराना और सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान करना आयोग का संवैधानिक अधिकार है. इसलिए फिर से यह तथ्य दोहराया जाता है कि उचित तरीके से चुनाव कराने के लिए जरूरी है कि आयोग के दिशानिर्देशों का पालन किया जाए." आयोग ने आरबीआई से प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. माना जा रहा है कि अगर आरबीआई ने इस पर जल्दी ही कोई फैसला नहीं लिया तो आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 में दिए गए अधिकारों का प्रयोग कर आरबीआई को उम्मीदवारों के लिए नकदी निकासी सीमा बढ़ाने का निर्देश दे सकता है.

इस मसले पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी सामने आई है. सीपीएम नेता प्रकाश करात ने भी आयोग के फैसले को जायज करार दिया है. उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान आयोग का फैसला ही सबसे बड़ा है और उसे कोई खारिज नहीं कर सकता. करात ने कहा कि 24 हजार साप्ताहिक निकासी सीमा में कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ा जा सकता. करात ने कहा कि रिजर्व बैंक चुनाव आयोग के फैसले का विरोध नहीं कर सकता क्योंकि चुनावों के दौरान आयोग का फैसला ही आखिरी होता है.

माना जा रहा है कि अगर आरबीआई ने इस पर जल्दी ही कोई फैसला नहीं लिया तो आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 में दिए गए अधिकारों का प्रयोग कर आरबीआई को उम्मीदवारों के लिए नकदी निकासी सीमा बढ़ाने का निर्देश दे सकता है.