नई दिल्ली: शिलॉन्ग राजभवन के 80 से ज्यादा कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को खत लिखकर मेघालय के राज्यपाल वी शानमुगनाथन को तुरंत प्रभाव से हटाने की मांग की है। पांच पेज के इस खत में आरोप लगाया गया है कि राज्यपाल की गतिविधियों की वजह से राजभवन की मर्यादा और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। साथ ही कहा गया है कि इससे राजभवन के कर्मचारियों की भावनाओं को भी ठेस पहुंची है। पत्र में लिखा गया है कि राज भवन की गरिमा के साथ समझौता किया गया है, इसे यंग लेडीज क्लब में बदल दिया गया है।

तमिलनाडु से वरिष्ठ आरएसएस कार्यकर्ता 68 वर्षीय शानमुगनाथन ने बतौर राज्यपाल 20 मई 2015 को कार्यभार संभाला था। जेपी राजखोवा को हटाए जाने के बाद उन्हें अरुणाचल प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था। सितंबर 2015 से अगस्त 2016 तक उनके पास मणिपुर का अतिरिक्त चार्ज भी था।
कर्मचारियों द्वारा लिखे गए खत में कहा गया है, ‘राज भवन की सुरक्षा के साथ समझौता किया गया है। राज भवन अब एक ऐसी जगह बन गई है कि राज्यपाल के आदेश के साथ युवा लड़कियां आती हैं और सीधे अंदर जाती हैं।’ हालांकि, शानमुगनाथन अभी इटानगर में हैं, क्योंकि उनके पास अरुणाचल प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार है। उनसे कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

राज्यपाल के सचिव एच एम शंगपलियांग ने कहा कि शानमुगनाथन ने मंगलवार को शिलॉन्ग प्रेस क्लब में टेलिकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी बात रखी थी। उन्होंने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों का खंडन किया था। दूसरे अखबारों में प्रकाशित उनके बयान को आप भी इस्तेमाल कर सकते हैं। द हाईलैंड पोस्ट ने एक अज्ञात महिला का बयान लिखा है, जो कि दिसंबर की शुरुआत में राज भवन में पीआरओ की पोस्ट के लिए इंटरव्यू देने आई थीं। महिला के हवाले से अखबार ने लिखा है कि राज्यपाल ने कथित तौर पर उन्हें हग किया और किस किया। हालांकि, अखबार ने राज्यपाल के हवाले से लिखा है कि उन्होंने उन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि राज भवन की महिला कर्मचारी उनकी बेटी और पोतियों जैसी हैं।