नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने सोमवार रात केंद्र सरकार को विधानसभा चुनावों से पहले एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किये जाने की मंजूरी दे दी है। आयोग ने मंजूरी देते हुए यह भी कहा है कि चुनाव वाले पांच राज्यों से जुड़ी किसी योजना का ऐलान नहीं किया जा सकता और वित्त मंत्री के भाषण में इन प्रदेशों में सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख नहीं होना चाहिए। बजट की मंजूरी देते समय चुनाव आयोग ने सरकार को 2009 की एक एडवाइजरी की भी याद दिलाई जिसमें कहा गया था कि परंपरा के अनुसार चुनावों से पहले पूर्ण बजट के बजाय लेखानुदान पेश किया जाता है। 2009 की एडवाइजरी का जिक्र करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि वह अपेक्षा करता है कि आयोग द्वारा उस पत्र में दिये गये परामर्श का भी सरकार वित्त वर्ष 2017-18 के लिए बजट पेश किये जाते समय ध्यान रखेगी।चुनाव आयोग ने 2009 में कहा था कि वह चुनाव के समय बजट के संदर्भ में कोई आदेश नहीं देना चाहेगा।

हालांकि आयोग सलाह देगा कि जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनके मामलों में लेखानुदान लिया जाना चाहिए। इससे पहले आज दिन में उच्चतम न्यायालय ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बजट प्रस्तुत किये जाने पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया था। सरकार का कहना है कि बजट पेश करने का समय पहले करना जरूरी था क्योंकि इससे एक अप्रैल से सभी क्षेत्रों को सभी बजटीय आवंटन किये जा सकेंगे। एक अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू होता है। आमतौर पर बजट फरवरी के अंतिम सप्ताह में पेश किया जाता रहा है।

चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा से कहा, आयोग निर्देश देता है कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों के लिए और सभी के लिए स्थिति समान बनाये रखते हुए किसी राज्य-केंद्रित योजना की घोषणा नहीं की जाएगी जिसकी चुनाव वाले पांच राज्यों के मतदाताओं पर सत्तारूढ़ दलों के पक्ष में असर पड़ने की संभावना हो। आयोग ने यह भी कहा कि वित्त मंत्री के भाषण में किसी भी तरह से पांचों राज्यों के संदर्भ में सरकार की उपलब्धियों का बखान नहीं होगा। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, पंजाब और गोवा में चार फरवरी से आठ मार्च के बीच विधानसभा चुनाव होने हैं।