नई दिल्ली: केंद्र सरकार के 1 फरवरी को बजट पेश करने के खिलाफ दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि केंद्र का बजट केंद्रीय होता है इसका राज्यों से कोई लेना-देना नहीं है. आप ये भी नहीं बता पाए कि यह कौन से कानून या संविधान के प्रावधान का उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा- याचिकाकर्ता एक उदाहरण देकर बताए कि केंद्र के बजट से किसी राज्य के नागरिक के मन में चुनाव के हिसाब से क्या असर पड़ सकता है? ऐसे तो आप कहेंगे कि राज्य के चुनाव हैं तो केंद्र सरकार ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे लोगों के मन में यह होगा कि इसी पार्टी की केंद्र में सरकार है और इस पार्टी को वोट देंगे तो राज्य को फायदा होगा. ऐसे ही बजट को आगे बढ़ाते रहे तो बजट कब आएगा. हर महीने राज्यों में चुनाव आते रहेंगे.
पिछली सुनवाई में CJI खेहर ने याचिकाकर्ता से सवाल किया था कि आप बताइए कि सरकार ने इस मामले में कौन से कानून का उल्लंघन किया है? संविधान के कौन से प्रावधान का उल्लंघन है? आप इस बारे में तमाम तैयारी कर कोर्ट को बताएं. अगर हमें कोई ग्राउंड मिलता तो नोटिस जारी कर सकते थे. वकील ML शर्मा ने याचिका में कहा है कि कानून के हिसाब से बजट नए वित्तीय सत्र में होता है. पांच राज्यों में चुनाव होने हैं इसलिए सरकार को 1 फरवरी को बजट पेश करने से रोका जाए.
उल्लेखनीय है कि विपक्षी दलों ने भी 1 फरवरी को बजट पेश किए जाने का विरोध किया. उनका कहना था कि लोकलुभावन बजट पेश करके केंद्र चुनावों पर असर डाल सकता है इसलिए बजट को 1 फरवरी के बाद पेश किया जाना चाहिए.
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