नई दिल्ली: BCCI में प्रशासक की नियुक्ति के मामले में एमिक्स क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम और अनिल दीवान ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को नौ नाम सौंपे हैं. इन नामों में पूर्व क्रिकेटर भी शामिल हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशासक कमेटी में नौ लोगों को शामिल करना मुश्किल है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 9 में से कौन बीसीसीआई प्रशासक होंगे ये हम तय करेंगे, तब तक CEO ही BCCI का कामकाज देखेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लिस्ट के नामों को सार्वजनिक नहीं किया जाए, क्योंकि इन लोगों में कुछ लोगों को रखा जा सकता है और कुछ को नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने फिर पूछा कि हम उम्मीद करते है कि इनमें से कोई भी 70 साल से ऊपर का नहीं है? गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि कमेटी के लिए सही लोगों का चुनाव किया गया है. इनमें 70 से ऊपर भी हैं. बेंच ने साफ किया कि याचिकाकर्ता क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार मामले में कोई सुझाव देना है, तो दे सकती है, लेकिन कमेटी में कौन लोग होंगे, वो ये सुझाव नहीं दे सकती.

जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम खानवेलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो मैच चल रहे हैं, उम्मीद है कि उनमें कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि हमारे आदेश से CEO काम कर रहे हैं.

वहीं, रेलवे और सशस्त्र बल भी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भले ही BCCI एक प्राइवेट संस्था है, लेकिन इसका कुछ हिस्सा सरकार को भी प्रभावित करता है. कोर्ट का आदेश है कि कोई भी सरकारी अफसर क्रिकेट एसोसिएशनों में शामिल नहीं हो सकता. लेकिन इसमें रेलवे, सशस्त्र बल और विश्वविद्यालयों की टीमें भी हैं जो सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में कोर्ट के इन आदेशों से इन टीमों के अधिकारों का हनन हो रहा है, क्योंकि उनका वोट करने का अधिकार चला गया है और वे पूर्व सदस्य से एसोसिएट मेंबर बन गए हैं… इसलिए सुप्रीम कोर्ट अपने आदेशों पर फिर से गौर करे और संशोधन करे.

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि लोढ़ा पैनल के सरकारी पद पर बैठे व्यक्ति को पदाधिकारी न बनाने के 18 जुलाई के आदेश को वापस लिया जाए.