लखनऊ: महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, ‘‘सीमान्त गांधी’’ ‘‘भारत रत्न’’ खान अब्दुल गफ्फार खान की पुण्यतिथि समाजवादी चिन्तन सभा के तत्वावधान में समाजवादी चिन्तक दीपक मिश्र की अध्यक्षता में 1, विधायक निवास स्थित कार्यालय सभागार में परिचर्चा का आयोजन कर मनाई गई, जिसका संचालन महासचिव अभय यादव ने किया।

समाजवादी चिन्तन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र ने बतलाया कि महात्मा गांधी के अनन्य अनुयायी अब्दुल गफ्फार खान समाजवाद को तर्जे निजाम की बजाय तरीके जिन्दगी मानते थे। उनके लिए समाजवाद व पंथनिरपेक्षता जीवनदर्शन के अपरिहार्य अंग थे। उन्होंने जीवन के 35 वर्ष जेल में बिताया ताकि भारतीय उपमहाद्वीप में स्वतंत्रता, समाजवाद व लोकतंत्र की अमंद बयार बहती रहे।

श्री मिश्र ने कहा कि मुसलमानों की देशभक्ति पर सवालिया निशान लगाने वाली जमात को बादशाह खान सदृश देशभक्तों का इतिहास पढ़ना चाहिए। उन्होंने ‘‘खुदाई खिदमतगार’’ संगठन का निर्माण किया जिसने आजादी की लड़ाई को अहिंसक तौर तरीके से आगे बढ़ाया। खान अब्दुल गफ्फार अनावश्यक हिंसा को गैर-इस्लामी मानते थे। उनका मानना था कि अन्याय का विरोध लोकतांत्रिक तरीके से करना चाहिए। खान साहब का सीधा-सपाट फलसफा था कि देशभक्ति मुसलमानों की लहू में होना चाहिए। उन्होंने अपनी सोच को चरितार्थ कर दिखाया। सत्तर के दशक में खान साहब ने भारत-भ्रमण कर साम्प्रदायिकता को भारतीय एकता के लिए सबसे बड़ा शत्रु बताया था। आज की तिथि में सीमांत गांधी अपने जीवनकाल (फरवरी 06-1880 से 20 जनवरी 1988 तक) से भी अधिक प्रासंगिक प्रतीत होते हैं।

समाजवादी चिन्तक दीपक मिश्र ने कहा कि खान साहब की पुस्तक मेरा जीवन और संघर्ष भारतीय लोकतंत्र, समाजवादी व स्वतंत्रता संग्राम की अनमोल दस्तावेज है जिसे हर भारतीय विशेषकर राजनीति करने वाले को पढ़ना चाहिए।

प्रसिद्ध शिक्षक नेता व लुआक्टा के अध्यक्ष डा0 मनोज पाण्डेय ने कहा कि खान अब्दुल गफ्फार खान जितने बड़े सत्याग्रही उतने ही महान विद्वान थे। उनकी गीता और कुरान दोनों पर समावेशीय पकड़ थी। गुजरात जेल में वे गीता व कुरान की शिक्षा देते थे। उन्हें 1987 में भारत-रत्न से विभूषित किया गया।
परिचर्चा में महासचिव अभय यादव, समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश सचिव देवीप्रसाद यादव, सौरभ पाण्डेय, राजेश अग्रवाल, युवा नेता खुर्शीद आलम समेत कई समाजवादी स्वयंसेवकों ने अपने विचार व्यक्त किए।