बोले–टिकट हम नहीं अखिलेश देंगे

लखनऊ: चुनाव आयोग द्वारा यूपी के सीएम अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी का चुनाव चिह्न मिलने के बाद उनके चाचा शिवपाल यादव अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं। आलम यह है कि अब वह सिर्फ अपने चंद वफादारों से घिरे हैं और जब कोई उनके पास आ रहा है तो उसे वह कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री के पास जाएं। ऐसा ही कुछ उस समय हुआ जब शिवपाल अपने भाई और समाजवादी पार्टी के कुलपति मुलायम सिंह यादव के विक्रमादित्य मार्ग स्थित घर के बाहर खड़े थे। शिवपाल के साथ उनके कुछ समर्थक खड़े थे। उसी दौरान शिवपाल के पास टिकट की आस में आए कुछ लोगों को खाली हाथ वापस जाना पड़ा जब शिवपाल ने जवाब दिया, “टिकट हम नहीं, मुख्यमंत्री दे रहे हैं।”

उनकी बातचीत छोटी थी, लेकिन इसी से शिवपाल की बेबसी का पता लग रहा था कि अब उनके पास पार्टी का कोई “अधिकार” नहीं रह गया। वहीं, जब कुछ कार्यकर्ताओं ने “शिवपाल जिंदाबाद, आदित्य भैया (शिवपाल के बेटे) जिंदाबाद” के नारे लगाए, तो शिवपाल ने यह कहते हुए चुप करा दिया कि “मैं तुम्हारी ऐप्लीकेशन नेताजी (मुलायम सिंह) और मुख्यमंत्री तक पहुंचा दूंगा… जिसको भी पार्टी टिकट दे उसको चुनाव लड़ाना और जिताना।” उन्होंने रिपोटर्स से भी बात करने से इंकार कर दिया और कहा कि एक या दो दिन बाद करेंगे।

लखनऊ में सभी के लिए यह साफ हो गया कि पार्टी पर नियंत्रण के लिए चल रही इस पारिवारिक खींचतान के अंत में शिवपाल बाहर हो गए हैं। समाजवादी पार्टी चुनाव चिह्न मिल जाने के बाद अखिलेश नेताजी से रिश्ते सुधारने में जुटे हैं। ऐसा भी कहा जा रहा था कि बाप-बेटे टिकट बटवारे पर काम कर रहे हैं। वहीं, शिवपाल अकेले पड़ गए हैं। उनके आवास पर सोमवार तक कड़ी सुरक्षा होती थी और बिना आज्ञा प्रवेश भी निषेध होता था, वहीं मंगलवार को बिना रोकटोक कोई भी आ-जा रहा था। जिसे भी शिवपाल से मिलना था वह आराम से अंदर आ सकता था।

इतना ही नहीं, मंगलवार को शिवपाल के आसपास कोई पार्टी नेता नहीं दिखा। जबकि इतने सालों तक शिवपाल यादव हमेशा वरिष्ठ नेताओं, नौकरशाहों, व्यापारियों और पार्टी नेताओं से घिरे रहते थे। ओम प्रकाश सिंह, नारद राय और शादाब फातिमा जैसे विधायक उनके करीबी माने जाते हैं, जिन्हें अखिलेश यादव ने कैबिनेट से निकाल दिया था, मंगलवार को इनमें से भी कोई शिवपाल के आसपास नहीं दिखा।