लखनऊ: मुलायम सिंह यादव ने अपने समर्थकों से कहा कि वे अखिलेश यादव के खिलाफ लड़ने को भी तैयार हैं। लखनऊ में सपा दफ्तर में उन्‍होंने कहा कि उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। मुलायम ने कहा, ”मैंने तीन बार अखिलेश को बुलाया पर वो एक मिनट के लिए ही आए और मेरी बात शुरू होने से पहले ही चले गए।” साइकिल के निशान को लेकर उन्‍होंने कहा कि चुनाव आयोग जो भी फैसला करेगा वो माना जाएगा। साइकिल का चुनाव चिह्न किसे मिलेगा इसका फैसला चुनाव आयोग को करना है। माना जा रहा है कि आज इस पर फैसला आ सकता है।

मुलायम ने रामगोपाल यादव पर कलह का ठीकरा फोड़ा। उन्‍होंने कहा कि रामगोपाल यादव के कहने पर अखिलेश काम कर रहे हैं। वे पार्टी और साइकिल को बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। यदि अखिलेश ने उनकी बात नहीं मानी तो वे उनके खिलाफ लड़ने को तैयार हैं। सपा सुप्रीमो ने अखिलेश पर आरोप लगाया कि उन्‍होंने मुसलमानों की अनदेखी की है। उन्‍होंने कहा, ”अखिलेश ने मुसलमानों की अनदेखी की है। हमने मुस्लिम डीजीपी की पैरवी की। उससे भी अखिलेश खुश नहीं थे।”

मुलायम सिंह यादव के ताजा बयान से यह अटकलें लगने लगी हैं कि शायद साइकिल अखिलेश कैंप में चली जाएगी। मुलायम का यह बयान उनके पिछले रवैये से अलग हैं। इस महीने की शुरुआत में उन्‍होंने कहा था कि सपा में कोई झगड़ा नहीं है। साथ ही कहा था कि अखिलेश उनके बेटे हैं। उनकी बात नहीं मान रहे तो मार थोड़ी देंगे। 11 जनवरी को मुलायम ने कहा था, ‘मैं दिल्ली इसलिए गया था कि हमारी पार्टी में कोई बाधा ना डाल पाए। पार्टी की एकता के लिए हमने पूरा समय दिया है। आपकी चिंता स्वभाविक है, क्योंकि पार्टी संघर्ष से बनी है। मेरे पास जो था वो सब देश का है, और मेरे पास क्या है। आप सब हैं। ना हम अलग पार्टी बना रहे हैं, ना ही चुनाव चिन्ह बदल रहे हैं। वो(अखिलेश समर्थक गुट) दूसरी पार्टी बना रहे हैं। मैंने उनको कहा कि विवाद में मत पड़ो। हम पार्टी में एकता चाहते हैं। मुझे पता है कि वो तीन बार दूसरी पार्टी के अध्यक्ष से मिले। हम पार्टी को बचाना चाहते हैं।’

उन्‍होंने यह भी कहा कि अगर सपा सत्‍ता में लौटी तो मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ही बनेंगे। माना जा रहा था कि शायद सपा सुलह के रास्‍ते पर है। इससे पहले मुलायम ये कहते रहे हैं कि चुनाव जीतने के बाद विधायक ये तय करेंगे के सरकार में बतौर मुख्यमंत्री कौन काम करेगा।