सुलतानपुर। गौश-ए-आजम ने पूरी दुनिया को इंसाफ और इंसानियत का पाठ पढ़ाया था। उनकी इंसानियत देख बुरे से बुरा आदमी सच्चाई की राह पर चला था। यह बाते मौलाना मंजूर ने गौश पाक के उर्स पर आयोजित जलसे को सम्बोधित करते हुए कही।

बंधुआकला में आयोजित जलसे को सम्बोधित करते हुए मौलाना मंजूर ने कहा कि बड़े पीर अब्दुल कादिर जिलानी ने अपनी शिक्षा बगदाद में पूरी की थी। मोहम्मद साहब के खानदान से ताल्लुक रखने वाले गौश-ए-आजम का जन्म ईरान के गिलान में हुआ था। इन्होंने अमन और शांति का पैगाम पूरे दुनिया को दिया। गौश पाक की सच्चाई का वाकया बयान करते हुए मौलाना मंजूर ने कहा कि इनके सफर की शुरूआत घर से हुई थी। रास्ते में डाकुओं ने इनके काफीले को लूट लिया था। डाकू ने जब इनसे पूछा कि तुम्हारे पास और कुछ है तो इन्होंने कहा कि उनके पास चालीस अशर्फिया और है। जिन्हे निकालकर गौश पाक ने डाकुओं को थमा दी थी। यह देख डाकू आश्चर्यचकित रह गये थे। डाकुओं ने पूछा कि तुमने छिपाई हुई अशर्फी क्यो दे दी। जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि वह अल्लाह के सिवा किसी से नही डरते है। झूठ इसलिए नही बोला कि उनकी माॅ ने उन्हे झूठ न बोलने और सच्चाई के रास्ते पर चलने की हिदायत दिया है। यह सुनकर सारे डाकुओं ने बुरे काम करने से तौबा कर लिया था। मौलाना ने कहा कि घर में खाना खाने से पहले पड़ोसियों के यहां देख लेना चाहिए कि उनके घर में कोई भूखा तो नही है। गरीबों को पहले खाना खिलाना चाहिए।

गौस पाक के उर्स के मौके पर समूचा शहर रोशनी से नहाया रहा। आशिकाने अहलेबैत इंतेजामियां कमेटी द्वारा शामिल अंजुमनों को इनाम दिया गया। इस
मौके पर अध्यक्ष गुलाम मोईनुद्दीन, संरक्षक इलियास, गुडडू खान, आयाज अहमद, खुर्शीद अहमद, मो. शकील, सलीम, रिजवान, नौशाद आदि लोग मौजूद रहे।