नई दिल्ली: यूपी में होने वाले विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है। सात चरणों में होने वाले चुनावों में गैर-बीजेपी पार्टियां सिर्फ एक मकसद पर तैयारियां करती दिख रही हैं जो ‘बीजेपी को रोको’ है। इसकी कई वजह भी हैं। क्योंकि बीजेपी जीत गई तो राष्ट्रपति चुनने के लिए उसके पास बहुमत बढ़ जाएगा। वहीं यूपी में बीजेपी के जीतने का मतलब होगा कि मंडल की राजनीति को नई परिभाषा मिले और मुलायम सिंह यादव के ओबीसी जाति को एकत्रिकरण करने की रणनाति को धक्का लगे। भाजपा का जीतना राज्य के उन मुस्लिम वोटरों को भी झटका होगा जो सपा या बसपा को वोट देंगे। क्योंकि राज्य से पहले ही कोई मुस्लिम सांसद नहीं है।

मिली जानकारी के अनुसार बीजेपी यूपी में हिंदुत्व कार्ड खेलने का मन बना चुकी है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि बीजेपी प्रत्येक सीट के लिए अलग रणनीति तैयार करेगी। जैसे जिन 97 सीटों पर बसपा ने मुस्लिम कैंडिडेट्स को टिकट दी है उनपर पार्टी की रणनीति बाकी सीटों से अलग होगी। बीजेपी नेताओं की मानें तो वे कांग्रेस को दौड़ में देख ही नहीं रहे। उन्हें कांग्रेस-सपा-आरएलडी के संभावित गठबंधन से भी कोई खास फर्क नहीं पड़ेने वाला। फिर भी बीजेपी को जो चितां है वह इस बात की है कि मुस्लिम वोट सपा और बसपा में कैसे बांटे जाएं। वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो वह किसी तरह गठबंधन करके अपने आपको बचाना चाह रही है। शीला दीक्षित ने भी सपा से संभावित गंठबंधन पर बयान दिया था।

वहीं अगर सपा टूटती भी है तो भी फायदा बीजेपी को होता दिख रहा है। क्योंकि भाजपा का प्लान यही रहेगा कि किसी भी तरह मुस्लिम वोटों को बांटा जाए।