नई दिल्ली: पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही कांग्रेस ने अपने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को उत्‍तराखंड में जीत दिलाने की जिम्‍मेदारी सौंप दी है। किशोर पहले से उत्‍तर प्रदेश और पंजाब में पार्टी की रणनीति तय कर रहे हैं। कांग्रेस सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि किशोर उत्‍तराखंड में पार्टी के चुनाव प्रचार का खाका खींचने पर राजी हो गए हैं। राज्‍य में सीएम हरीश रावत के नेतृत्‍व में पार्टी को बीजेपी से कड़ी टक्‍कर मिलने की उम्‍मीद है। 71 सीटों वाली उत्‍तराखंड विधानसभा के लिए 15 फरवरी को वोटिंग होगी। सभी पांच राज्‍यों के लिए मतगणना 11 मार्च को की जाएगी। साल 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले प्रशांत किशोर को उसके बाद सभी राजनैतिक दलों ने हाथोंहाथ लिया था। 2015 में बिहार विधानसभा चुनावों में उन्‍होंने नीतीश कुमार के साथ रणनीति बनाई और जीत दिलाई। जिसके बाद कांग्रेस ने उन्‍हें उत्‍तर प्रदेश और पंजाब के विधानसभा चुनावों के लिए नियुक्‍त किया था।

कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी तक सीधी पहुंच रखने वाले प्रशांत किशोर की वजह से कई वरिष्‍ठ नेता खुद को दरकिनार महसूस कर रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स में यहां तक दावा किया गया है कि किशोर को यूपी से दूर रहने के लिए कहा गया है। उत्तराखंड की मौजूदा कांग्रेस सरकार अंदरूनी कलह की शिकार है। पिछले साल पार्टी के दो फाड़ हो जाने से सरकार सुप्रीम कोर्ट की मदद से गिरने से बची। राज्य के मौजूदा सीएम हरीश रावत के पैसे लेकर बागी विधायकों को खरीदने के कथित वीडियो के सामने आने के बाद आगामी चुनाव में उनकी अग्निपरीक्षा होगी।

औद्योगिक निर्माण के कारण पहाड़ी राज्य के पर्यावरण को हो रही क्षति और बढ़ती बेरोजगारी भ्रष्टाचार के अलावा बड़े मुद्दे हो सकते हैं। कांग्रेस की तरह बीजेपी भी अंदरूनी कलह की शिकार है भले ही वो सतर पर न दिखे।

2012 के विधान सभा चुनाव में राज्य के तत्कालीन सीएम भुवन चंद्र खंडूरी पार्टी के सम्मानजनक प्रदर्शन के बावजूद अपनी सीट हार गए थे। तब ये माना गया था कि खंडूरी की हार में पार्टी के असंतुष्टों का हाथ था। उस चुनाव में राज्य की 70 विधान सीटों में से 32 पर कांग्रेस को और 31 पर भाजपा को जीत मिली थी।