लखनऊ: दादा मियाँ केउर्स के तीसरे दिन के प्रोग्रामों की शुरुआत क़ुरआन ख्वानी के साथ हुईं। फिर दिन में 10:30 बजे से इख्लाकी रवादारी और सीरते शाहे रज़ा के उनवान पर सेमीनार हुआ। जिसकी सदारत सज्जादानशीन किबला मोहम्मद सबाहत हसन शाह ने की। जिसमें दूर दूर से आये हुए उलमाए किराम ने दादा मियाँ की तालीमात पर रौशनी डाली।

डा0 सईद बिन मखासिन ऐसोसिऐट प्रोफसर मौलाना आजाद नेशनल यूनिर्विसटी हैदराबाद ने दादा मियाँ की तालीमात को मोहम्मद मुस्तफा स0 अ0 ब0 की तालीमात का बेहतरीन उदाहरण बताया और नबी और बली से दोस्ती और दुश्मनी का अन्जाम बताया। सय्यद नूरूद्दीन असदक बिहार नालन्दा बिहार ने दादा मियाँ की तालीमात पर रौशनी डाली, और कहा इन्सान को सादा मिज़ाजी से जिन्दगी गुजारनी चाहिए,जो सूफिया ए किराम में पायी जाती है। मौलाना ज़ियाउर्रहमान अलीमी साहब इलाहाबाद ने दुनिया से दहशत खत्म करने के लिए दादा मियाँ की तालीमात को आवाम तक पहुचाने की अपील की और उसको वक्त की अहम जरूरत की जिससे आलमे इन्सानियत को दुश्वारियो से निजात मिल सके। सेमिनार में लोगों की कसीर तादात रही। सेमिनार का आगाज़ कारी अब्दुल हन्नान साहब फसाहती ने तिलावते कुआने मुकददस से किया उसके बाद धनवाद से कारी शहादत हुसैन ने नातो मनकबत का गुलदस्ता पेश किया। निज़ामत का फरीज़ा नवाज़ अहमद साहब गाज़ी पुरी ने अदा किया। उसके हुजूर साहिबे सज्जादा किब्ला मोहम्मद सबाहत हसन की दुआ पर सेमिनार का इख्तिताम हुआ।