लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज रामकृष्ण मिशन सेवा आश्रम निराला नगर में सिस्टर निवेदिता के जन्म की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित दो दिवसीय समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के स्वामी मुक्तिनाथानंद जी, कबीर मिशन के श्री आर0के0 मित्तल सहित बड़ी संख्या में आश्रम के पदाधिकारीगण व श्रद्धालुजन उपस्थित थे।

राज्यपाल ने सिस्टर निवेदिता को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि सिस्टर निवेदिता एक विदेशी महिला थी पर भारत आकर जिस तरह उन्होंने अपना जीवन जिया, वह हम सबके लिये मार्गदर्शक है। वे पढ़ी-लिखी विदूषी महिला थी। भारतीय संस्कृति एवं स्वामी विवेकानन्द से प्रभावित होकर उन्होंने स्वामी जी से दीक्षा प्राप्त की। सिस्टर निवेदिता ने उस समय स्वामी जी से दीक्षा ली जब विदेशों में भारतीयों के प्रति अच्छी धारणा नहीं थी बल्कि उनमें भारतीयों के प्रति घृणा और उपेक्षा का भाव व्याप्त था। उन्होंने कहा कि विदेशी महिला स्वामी विवेकानन्द को भारतीय संस्कृति का प्रवक्ता समझकर उनसे दीक्षा ले तो बड़ी बात है।

श्री नाईक ने कहा कि सिस्टर निवेदिता के जीवन चरित्र को देखना, समझना और ग्रहण करना चाहिए। स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो के सर्वधर्म परिषद में ऐसी भूमिका में अपनी बात रखी कि उसका पश्चिमी नागरिकों पर गहरा असर पड़ा। उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम और छोटे मन की व्याख्या करके भारतीय संस्कृति की विशेषता यानि पूरा विश्व एक परिवार है, सबके समक्ष रखी। स्वामी जी ने कहा था कि भारत की उन्नति युवकों और शिक्षित महिलाओं के माध्यम से हो सकती है। महिलायें शिक्षित होंगी तो उनमें आत्मविश्वास जागेगा और वे सक्षम बन सकती हैं। पूर्व राष्ट्रपति स्व0 राधाकृष्णन ने कहा था कि एक महिला के शिक्षित होने से पूरा परिवार शिक्षित होता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की विशेषता है कि वे दूसरों के लिये त्याग और परिश्रम करती हैं और उसी परिश्रम में उन्हें आनन्द की अनुभूति होती है।

राज्यपाल ने कहा कि आज महिलायें हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं। कुलाधिपति की हैसियत से उन्होंने विश्वविद्यालयों की दीक्षान्त समारोह में देखा है कि 60 से 65 प्रतिशत स्वर्ण पदक छात्राओं को प्राप्त हो रहे हैं। जहाँ योग्य शिक्षा मिलती हैं, महिलायें सफल होती हैं। ऐसा वातावरण बनायें कि लड़कियाँ आगे बढे़। सिस्टर निवेदिता के लिये सबसे बड़ी श्रद्धांजलि यही होगी कि महिला शिक्षा के क्षेत्र में उनके ध्येय को साकार करें। संकल्प लें कि महिलाओं को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाना है। उन्होंने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ श्लोक की व्याख्या करते हुये कहा कि रूकने वाले का भाग्य ठहर जाता है और चलते रहने से सफलता प्राप्त होती है, इसलिये अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक चलते रहना चाहिये।