अमल

डा.हिमांशु द्विवेदी
प्रभात प्रकाशन,
4/19, आसफ अली रोड,
नई दिल्ली – 110002
मूल्य 600 रुपये


समीक्षक – डा.शाहिद अली

लब्ध प्रतिष्ठित पत्रकार डा. हिमांशु द्विवेदी की सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘अमल’ एकात्म मानववाद के साकार होते सपनों का सटीक रेखांकन है। आज पूरे देश में जिस बात की सर्वाधिक चर्चा है वह है, पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के सूत्र को समझने और उसके चिंतन की। सामान्य व्यक्तियों के जीवन में उन्नयन का मार्ग दरअसल एकात्म मानववाद की पहचान है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा एकात्म मानववाद की पृष्ठभूमि में लोक कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन एक बेहतरीन मिसाल है और इसे नजदीक से देखने और परखने की अद्वितीय प्रयास है ‘अमल’।

पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर डा.हिमांशु द्विवेदी ने पं.दीनदयाल उपाध्याय के इस प्रेरक सूत्र को छत्तीसगढ़ सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं के प्रकाश में देखने का यह अनोखा शोध उपस्थित किया है। निरंतर अध्ययनशील और गंभीर विषयों पर लेखनी के लिये मशहूर डा.हिमांशु द्विवेदी जी का यह मानना है कि पं.दीनदयाल जी का व्यक्तित्व जितना सरल था, उनका जीवन उतना ही कठिन था। ठीक उसी प्रकार दीनदयाल जी के विचारों को पढ़ना जितना सरल है, उन्हें समझना उतना ही कठिन है। जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जिसे उन्होंने अपने चिंतन के दायरे में शामिल न किया हो। सामाजिक विषयों से लेकर आर्थिक विषयों तक उन्होंने जितने आयामों के साथ उन्हें विश्लेषित किया है, वह अद्भूत है। यह उनके विचारों की शाश्वतता ही है कि उनके देहावसान के 48 वर्ष बीतने के बाद भी वह अप्रासंगिक नहीं हुए हैं। उनका एकात्म मानववाद भारतीय संस्कृति का वह जयघोष है, जिसकी गुंज कभी समाप्त नहीं होगी।

एक अध्येता के रुप में यह खोज वास्तव में काफी मायने रखती है कि कोई सरकार एक राष्ट्रसंत के आदर्शों और उसके सिद्धांतों को किस प्रकार से अपनी आधारभूमि बनाकर राज्य की बुनियाद और उसके विकास का रास्ता तय करती है। पं.दीनदयाल जी का जीवन एक वैचारिक अनुष्ठान का दर्शन है और इसी दर्शन को छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने राज्य की कल्याणकारी योजनाओं के जरिये क्रियान्वित करने का महान कार्य किया है। स्वयं मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने अमल की प्रस्तावना में यह व्यक्त किया है कि एकात्म मानववाद के आदर्शों, सिद्धांतों और लोकजीवन के लिए उनके संकल्पों के प्रति एक समझ उन्हें बचपन में ही मिल गई थी। यही प्रेरणा उन्हें पं.दीनदयाल उपाध्याय के सपनों को पूरा करने में मार्ग प्रशस्त करती रही। लोकदर्शी मुख्यमंत्री के रुप में अपनी पहचान स्थापित करने वाले डा.रमन सिंह के लिये यह कार्य वास्तव में उन्हें जन-जन का चहेता बना देता है, जिसने जनता को भोजन-पोषण, युवाओं को शिक्षण-प्रशिक्षण, हुनर तथा बच्चों, महिलाओं, वनवासियों को उनके अधिकारों और स्वालंबन के साथ जोड़ने में सशक्त कदम रखा हो।

डा.हिमांशु द्विवेदी ने पुस्तक के प्रारंभ में पथ-प्रदर्शक पं.दीनदयाल उपाध्याय का जीवन-परिचय विस्तार से सिलसिलेवार रखा है जिसमें पं.दीनदयाल जी के समग्र भारतीय चिंतन का विवरण मिलता है वहीं उनके एतिहासिक पत्रों यथा- राष्ट्रधर्म प्रकाशन, स्वदेश, पांचजन्य एवं आर्गनाईजर में विभिन्न दायित्वों के संचालन और लेखों की अविरल यात्रा मिलती है। पं.दीनदयाल जी के इस जीवन परिचय में एतिहासिक राजनीतिक घटनाचक्रों के बीच विभिन्न महानतम व्यक्तियों के प्रसंगों का उल्लेख पुस्तक की रोचकता और प्रासंगिकता को द्विगुणित करता है। जीवन परिचय में ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों में, पंडित दीनदयालजी का पूरा जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित रहा। उनके द्वारा दिया गया मानवीय एकता का मंत्र हम सभी का मार्गदर्शन करता है। यह भी एक संयोग है कि पं.दीनदयालीजी के जन्म शती के अवसर पर पाठकों को यह पुस्तक पढ़ने का रसास्वादान मिला है। इस पुस्तक का विमोचन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक विशाल समारोह में किया। डा.हिमांशु द्विवेदी ने उन असंख्य लोगों के सामने पं.दीनदयालजी के बहुआयामी व्यक्तित्व को पूरी गंभीरता से पढ़ने और चिन्तन करने के लिये ऐसे समय को चुना है जब राजनैतिक दलों में विचार विहीन सत्ता संवरण का लोभ सिर चढ़ कर बोल रहा है। इन अर्थों में डा.हिमांशु द्विवेदी की यह पड़ताल छत्तीसगढ़ की रमन सरकार की सफलता को एकात्म मानववाद के दर्शन और विचार का पर्याय मानती है। छत्तीसगढ़ के पिछले तेरह वर्षों के विकास योजनाओं का विश्लेषण करते हुये डा.हिमांशु द्विवेदी का इस नतीजे पर पहुंचना एक पत्रकार का सही विमर्श है।

एकात्म मानववाद का सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक चिन्तन भारतीय उप-महाद्वीप के विकास का चिन्तन है। पश्चिम जीवन दर्शन से अलग भारतीय विचार दर्शन को अमल में लाना ही राष्ट्रवाद है। जिन विचारों में विकास के सही सूत्र मिलें वहां ही राष्ट्रवाद के दर्शन होते हैं। इन मायनों में पं.दीनदयालजी के विचार भारतीय दर्शन को समझने का यह सही मौका है जब नई अर्थ-व्यवस्था ने काले धन के जवाब में करवट बदली हो।

भौतिकवाद को पीछे छोड़कर मानव और समाज के परस्पर संबंधों की व्याख्या करते हुए संतुलित विकास का मार्ग एकात्म मानववाद के विचार से ही प्रारंभ होता है। डा.हिमांशु द्विवेदी ने अमल में यह महसूस किया है कि पश्चिम की वैचारिक प्रक्रिया में लौकिक जीवन का आधिपत्य है जबकि भारतीय मानव दर्शन में मानव सर्वेसर्वा है। विकृत लौकिकत के कारण पश्चिम का यांत्रिकीकरण और मर्यादाहीन भोगवाद पनपा है। पं. दीनदयालजी असंवेदनशील, मर्यादाहीन आचरण और क्रूर यांत्रिकीकरण के खिलाफ थे, वे जनमानस को पश्चिम के अंधानुकरण के प्रति दुनिया को सतर्क करते हैं। भारतीयता की सशक्त अभिव्यक्ति के शीर्षक से इस खंड में पं.दीनदयालजी के एकात्म मानववाद को प्रस्तुत करने में लेखक सफल रहे हैं।

भूख पर विजय की बेमिसाल योजना, वनवासियों को मिला मालिकाना हक, मुस्कराने लगा किसान, बेहतर शिक्षा-बेहतर भविष्य, त्रासदी को अवसर में बदलता प्रयास, खिलाड़ियों के अब हौंसले बुलन्द, संस्कृति का संरक्षण पर्यटन विस्तार के साथ, स्वास्थ्य सेवाओं की सुधरी सेहत, कुपोषण मुक्ति के लिए मर्मस्पर्शी पहल, अब नहीं रही कोई अबला, विकसित छत्तीसगढ़ अब हमारी पहचान, उर्जा से मिली राज्य के विकास को गति, सौर उर्जा में तलाशा समाधान, तकनीक में दक्ष होता लोक प्रशासन, गढ़े रोजगार सृजन के नए आयाम, साकार हो रहा अपने घर का सपना, इत्यादि शीर्षकों में छत्तीसगढ़ के सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक विकास का विश्लेषणात्मक विवेचन डा.हिमांशु द्विवेदी ने काफी संजीदगी से किया है। इस दृष्टि से छत्तीसगढ़ के सही पुरस्कर्ताओं को ढूंढ निकालने में भी अमल की खोज सराहनीय है।

भोजन के प्राकृतिक अधिकार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने सबसे पहले लक्ष्य बनाया और उस पर विजय पाई और चाउर वाले बाबा कहलाए। दलित-शोषित वर्गों और जरुरतमंदों तक सरकार की योजनाओं को सफलता के साथ क्रियान्वित करना ठोस इच्छाशक्ति की पहचान है। पी.डी.एस. से लोकप्रिय मुख्यमंत्री खाद्य सुरक्षा और पोषण कानून को छत्तीसगढ़ में लागू करने में अग्रणी रहे। पं.दीनदयालजी का यह सपना था कृषकों को उनकी आय का पूरा मूल्य मिले और हर व्यक्ति का पेट भरा हो। छत्तीसगढ़ की जनता आज चावल उत्सव मनाती है। हर गांव में हाट बाजार लगते हैं। उत्सव में राशन कार्ड का वितरण होता है। राज्य के लाखों गरीबों के घर-आंगन में आज खिलखिलाहट है, दरअसल इन उपलब्धियों का ताना-बाना है अमल, जिसे पढ़कर छत्तीसगढ़ की बदली हुई तस्वीर देखने का सुखद अहसास होता है। पं.दीनदयालजी के जीवन दर्शन को चरितार्थ करने का उपक्रम छत्तीसगढ़ सरकार के काम-काज में दिखाई देता है। इस उपक्रम को दर्शाती पुस्तक अमल में योजनाओं का संकलन पठनीय है।

पं.दीनदयालजी के चिन्तन के अनुरुप ही छत्तीसगढ़ में वनवासियों के कल्याण के लिए व्यापक योजनाओं को लागू किया गया। वनवासी क्षेत्रों में हो रहे विकास कार्य चकित कर देने वाले हैं। वन और वन्य प्राणियों का संरक्षण करते हुये वनवासियों को आज उन्हें उनका खोया सम्मान वापस मिला है। अमल में इसकी चर्चा प्रासंगिक है। छत्तीसगढ़ में किसानों की खुशहाली लौटाने का काम भी पं.दीनदयालजी के रास्तों पर चलते संभव हुआ है। धान का कटोरा कहे जाने वाले राज्य में एक समय किसानों का पलायन बड़े पैमाने पर हुआ। लेकिन छत्तीसगढ़ में आज किसानों की स्थिति में सुधार हुआ है। पलायन की पीड़ा खत्म हुई है। कृषि उपज में वृद्धि हुई है। विपणन और वितरण प्रणाली से किसानों में संतोष का भाव है। कृषि कर्मण पुरस्कार किसानों का उत्साहवर्धन कर रहे हैं। कृषि विकास पर सरकार का ध्यान पूरी तरह से केन्द्रित है। प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए फसल बीमा योजना से किसानों की चिन्ताओं को दूर किया है। इसलिये ही ठीक कहा है अमल में, कि किसानों में मुस्कराहट है।

बिना शिक्षा के समाज संभव नहीं। यदि शिक्षा न हो तो समाज का जन्म ही न हो। अतः शिक्षा के प्रश्न को मूलतः सामाजिक दृष्टिकोण से ही देखना होगा। इस कर्तव्य पालन में भी छत्तीसगढ़ सरकार ने पं.दीनदयालजी के विचार अनुरुप अपना कदम बढ़ाए हैं। नक्सल प्रभावित राज्य में तमाम चुनौतियों के बावजूद शिक्षा को बेहतर बनाने का कार्य भी तेजी से हुआ है। उच्च शिक्षा संस्थानों की बढ़ोतरी के साथ बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओ अभियान राज्य के हर घर का संकल्प हो गया है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे लाखों परिवारों के लिए सरस्वती साइकिल योजना आकर्षण का केन्द्र है। शिक्षा गुणवत्ता अभियान ने दंतेवाड़ा जैसे नक्सल क्षेत्रों में एजुकेशन सिटी को जन्म दिया है। अंत्योदय और संतुलित विकास के सपनों को पूरा करने में इससे सहायता मिल रही है। वहीं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी कई योजनाओं पर छत्तीसगढ़ सरकार को सफलता मिली है। यह कहना समीचीन होगा कि डा.हिमांशु द्विवेदी की इस महत्वपूर्ण पुस्तक में भोजन एवं पोषण, वनवासी कल्याण, कृषक जगत, शिक्षा और खेलकूद, संस्कृति और पर्यटन, स्वास्थ्य सेवाएं, महिला सशक्तिकरण, अधोसंरचना और उद्योग क्षेत्र, विद्युत उत्पादन, तकनीक और प्रशासन, हर हाथ को काम, आवास व्यवस्था जैसे मूलभूत विषयों को समाहित करके कई संदर्भों में पं.दीनदयालजी को व्याख्यित करने के साथ ही जागरुक और चिन्तनशील छत्तीसगढ़ सरकार का उत्साहवर्धन भी किया है। अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति तक सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की पहुंच और उसका प्रभाव ही पं.दीनदयालजी के सपनों का भारत हो सकता है। इसकी समझ डा.हिमांशु द्विवेदी ने अपनी पुस्तक अमल में दी है।

‘अमल’ में पं.दीनदयालजी के कालीकट सम्मेलन की भी चर्चा है। इस सम्मेलन में पं.दीनदयालजी ने केन्द्र और प्रांतों से संबंध, कर पद्धति पर पुनर्विचार, आर्थिक स्वाधीनता, मूल्य नीति और कृषि, भारत की सार्वभौम सत्ता का अविभाज्य अंग कश्मीर पर की गई टिप्पणियों को लिया गया है। पुस्तक के आखिरी पन्नों में पं.दीनदयालजी के के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए हैं जिसमें डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पं.दीनदयालजी को अप्रतिम कर्तृत्वशील कार्यकर्ता के रुप में अपना सानिध्य दिया है। देश के लोकप्रिय राजनेता, चिन्तक और कवि श्री अटल बिहारी बाजपेयी की विनम्र श्रद्धांजलि का भाव कुछ इस तरह से व्यक्त हुआ है –
नंदा दीप बुझ गया, हमें अपने जीवन-दीप जलाकर अंधकार से लड़ना होगा।

सुरज छिप गया, हमें तारों की छाया में अपना मार्ग ढूंढना होगा।

‘अमल’ में, पं.दीनदयालजी के जीवन प्रसंगों से जुड़े 14 दुर्लभ छायाचित्रों के साथ छत्तीसगढ़ सरकार के विकास योजनाओं को प्रदर्शित करती कई अन्य छायाचित्रों की श्रृंखला है। पं.दीनदयालजी के विचारपुंज में समाज और राष्ट्र के कल्याण को समझने की दृष्टि से डा.हिमांशु द्विवेदी की पुस्तक ‘अमल’ निश्चय ही विद्यार्थियों, शोधार्थियों, योजनाकारों, पत्रकारों, शिक्षाविदों, स्कूलों एवं विश्वविद्यालयों, राजनितिक कार्यकर्ताओं, विभिन्न प्रांतों की सरकारों, प्रशासनिक अधिकारियों, विचारकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और दर्शनशास्त्रियों के लिए भी काफी उपयोगी सिद्ध होगी।


  • विभागाध्यक्ष, जनसंचार एवं समाजकार्य विभाग,
    कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
    मो. – 9407691051 Email – drshahidktujm@gmail.com