नई दिल्ली। उत्तराखंड कैबिनेट ने मुस्लिम कर्मचारियों को जुमे की नमाज़ के लिए 90 मिनट का ब्रेक दिया तो देहरादून से दिल्ली तक की सियासत में उबाल आ गया। चौतरफा आलोचना के बाद रावत सरकार को 90 मिनट की इस छुट्टी को सबके लिए बताते में चंद घंटे का ही वक्त लगा, लेकिन किस धर्म के लोग कब और कैसे छुट्टी लेंगे, इस पर सरकार चुप है।
चुनावी मौसम में लिए गए इस फैसले को लेकर बीजेपी ने हरीश रावत सरकार पर सीधा हमला बोल दिया और फैसले को चुनावी स्टंट करार दिया। बीजेपी नेता जफर इस्लाम ने कहा कि सेक्युलर मुल्क में ऐसा नहीं होना चाहिए। मुस्लिम समुदाय को भी पता है उन्हें लुभाने के लिए कर रहे हैं।
इधर, कांग्रेस अपनी सरकार के इस फैसले के साथ खुलकर खड़ी है। कांग्रेस प्रवक्ता ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि बीजेपी को ये मालूम नहीं कि संसद में भी जुमे के लिए 90 मिनट का ब्रेक होता है।
उत्तराखंड कैबिनेट के इस फैसले पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही धर्मनिरपेक्षता का राग गा रही हैं। हालांकि, मुस्लिमों से जुड़े कुछ सामाजिक संगठन भी उत्तराखंड सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं और इसे राजनीति से प्रेरित करार दे रहे हैं। साथ ही चुनाव आयोग से इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। समर्थन और विरोध के बीच रावत सरकार ने चुनावी मौसम से पहले उत्तराखंड के 14 फीसद मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने का बड़ा दांव खेल दिया है।
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