महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा आज ‘100 मिलियन के लिए 100 मिलियन‘ अभियान – नोबल पीस लॉउरेट कैलाश सत्यार्थी द्वारा किए जा रहे वैश्विक प्रयास को हरी झंडी दी गई – इस प्रयास से 100 मिलियन युवाओं को स्थापित होने के अवसर प्राप्त होंगे तथा अगले पांच वर्षों में उनकी आवाज विश्व भर के 100 मिलियन बेजुबान बच्चों और युवाओं की आवाज बनेगी। दूसरे शब्दों में एक युग का नेतृत्व करते हुए 100 मिलियन युवा आने वाले युग की समस्याओं का साथ मिलकर समाधान खोजेंगे।

राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आज ‘लॉउरेट्स एवं लीडर्स के बाल शिखर सम्मेलन, 2016‘ के दो दिव्सीय उद्घाटन समारोह के अवसर पर इसका शुभारंभ किया गया। लॉउरेट्स तथा लीडर्स के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा हरी झंडी दिखाई गई जिससे एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में लिया जा सकता है क्योंकि 11 दिसम्बर श्री मुखर्जी जी का जन्म दिन भी। प्रतिभागियों द्वारा तहे दिल से उन्हें शुभकामनाएं प्रस्तुत की गई।

इस अभियान की अत्यावश्यकता के बारे में बोलते हुए नोबल पीस लॉउरेट कैलाश सत्यार्थी ने यह कहा कि ‘‘आज से शुरुआत करके हमें एक ऐसी सम्पदा निर्माण करना चाहते हैं जो हम आने वाले युग के लिए छोड़कर जाएंगें। मैं एक ऐसी दुनिया की संकल्पना करता हूं जिसमें प्रत्येक बच्चा स्वतंत्र हो, सुरक्षित हो तथा शिक्षित हो … जहां न्यायिक कानून के अनुरूप हो, जहां सरकारी तथा अंतर-सरकारी एजेंसियां बच्चों के कल्याण के लिए सर्वांगीण नीतियों का निर्माण करती हों। मैं एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना चाहता हूं जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अत्यंत ही महत्वपूर्ण भूमिका से अपराधों की रोकथाम संभव हो सके – जहां किए जाने आर्थिक कार्य बच्चों के कल्याण के लिए हों न कि उन्हें गुलाम बनाने के लिए। मैं एक दुनिया का निर्माण चाहता हूं जिसमें बाल योगदान से परिवर्तन संभव हो सकें।‘‘

इस अभियान के शुभारम्भ से दो दिवसीय ‘लॉउरेट्स एंड लीडर्स के बाल शिखर सम्मेलन‘ का समापन हुआ। इस सम्मेलन से लगभग 25 लाउरेट्स तथा लीडर्स, युवा एवं अकादमी, व्यापार, सिविल सोसायटी, खेल, कला एवं संस्कृति जैसे विभिन्न क्षेत्रों से आए 150 से अधिक प्रख्यात व्यक्तियों को साथ जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ। इस सम्मेलन का आयोजन लाउरेट्स एवं लीडर्स को चारित्रिक एवं राजनैतिक प्राधिकारों से सशक्त करना था जिससे वे बाल अधिकारों शिक्षा को प्रौन्नत कर सकें तथा बच्चों की तस्करी, बाल श्रम, गुलामी एवं बच्चों के प्रति होने वाले अन्य अत्याचारों से उन्हें मुक्त करवा सकें।

बाल अधिकारों के अभियान के संबंध में बोलते हुए कैलाश सत्यार्थी ने इसके उद्घाटन अवसर पर यह कहा कि ‘‘युवाओं के उत्साह एवं आदर्शवाद पर सवार होकर परिवर्तन हमारे द्वार पर खड़ा हुआ है। हमें इस बदलाव को देखना – इनका समाधान इन्हीं बदलावों में कहीं छिपा है।‘‘