नई दिल्ली: नोटबंदी पर कालाधन को रोक पाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भले ही असफल होने के आरोप लगने लगे हों लेकिन, अब सरकार ने आरबीआई के माध्यम से अपनी असफलता को सफलता में बदलने का बीड़ा उठाया है.

नोटबंदी के लागू करने के साथ ही जहां सरकार को उम्मीद थी कि करीब 70 फीसदी पैसा वापस बैंकों में जमा हो जाएगा और बाकी का कालाधन होने की वजह से सामने नहीं आएगा वहीं, आरबीआई ने जो ताजा आंकड़े जारी किए हैं, उनके अनुसार अभी तक अर्थव्यवस्था में मौजूद नकद का 80 फीसदी बैंकों में जमा हो चुका है.

बैंकों में इतनी बड़ी तादाद में पुराने 1000 और 500 के नोट जमा होने के बाद सरकार के माथे पर शिकन आने लगी और सरकार को भी यही लगने लगा कि इस मुद्दे पर सरकार का दांव कहीं उल्टा तो नहीं पड़ा गया. लोगों को हो रही परेशानियों को खत्म करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी तमाम मंचों से यह घोषणा करते रहे कि केवल 50 दिन में सरकार स्थिति पर नियंत्रण पा लेगी और लोगों को बैंकों और एटीएम के बाहर लाइनों में खड़ा नहीं होना पड़ेगा. वास्तविक्ता में ऐसा हुआ नहीं. लोग आज भी लाइनों में लगे हैं और यह लाइनें बैंकों और एटीएम के बाहर भोर से ही लगने लगती हैं.

लोगों में बढ़ती नाराजगी और अपनी विफलता पर सरकार ने फिर एक तीर चला है और अब सरकार ने आरबीआई के माध्यम से सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि सभी बैंक 8 नवंबर से 30 दिंसबर यानि नोट बदलने की मियाद के भीतर के दौरान बैंकों के सभी सीसीटीवी फुटेज को संभाल कर रखेंगे.

आरबीआई ने मंगलवार 13 दिसंबर 2016 को सभी बैंकों को चिट्ठी लिखकर कहा है कि बैंकों से दलालों द्वारा कालाधन को सफेद किए जाने के जो प्रकरण सामने आ रहे हैं उसके बाद यह जरूरी हो जाता है कि बैंक 8 नवंबर से 30 दिसंबर 2016 के बीच के बैंकों में लगे सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखें.