सुलतानपुर। इस्लाम अमन और शांति का मजहब है। हजरत मोहम्मद साहब के आने से पहले दुनिया में जुल्म और सितम का बोलबाला था। इंसानियत कोल्हू मे पिस रही थी। ताकतवरों का बोलबाला था। यह विचार मौलाना मंजूर ने जश्ने वेलादत के मौके पर बंधुआकला मेें आयोजित जलसे में कही।
मंजूर मौलाना ने कहा कि हुजूर के तसरीफ लाने के पहले जुल्मो सितम का दौर था। गरीबों को कुचल दिया जाता था। इंसानियत नाम की कोई चीज नही थी। ताकतवर और जुल्म करने वालो का बोलबाला था। बच्चिया जिंदा दफन कर दी जाती थी। हुजूर के तसरीफ लाने के बाद इंसानियत का बोलबाला हुआ। इंसानियत की डूबती कश्ती को किनारा मिला। हुजूर ने पूरी दुनिया को अमन और शांति का पाठ पढ़ाया। इस मौके पर बंधुआकला में जगह-जगह जलसे का आयोजन किया गया। जिसमें इलाके की अंजुमनों ने हिस्सा लिया और नात पढ़ी।
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