श्रेणियाँ: राजनीति

ब्लॉकबस्टर फिल्म से कम नहीं अमर सिंह का राजनितिक सफ़र

आसिफ मिर्ज़ा
लखनऊ। वैसे तो लगातार 'बाहरी' बताए जा रहे राज्यसभा सदस्य अमर सिंहको लेकर समाजवादी पार्टी मेंसब कुछ ठीक नहीं हैं। मुलायम उन्हें अपने बल पर पार्टी में बनाए हुए हैं। ये मुलायम का अमर प्रेम ही तो है जो पार्टी से लेकर परिवार तक पहुंचे घमासान के बाद भी उन्हें उनका साथ छोड़ना गंवारा नहीं। फिर चाहे पिता मुलायम के सामने पुत्र अखिलेश ही क्यों न हों, अमर सिंह के खिलाफ कुछ भी सुनना नेताजी को बर्दाश्त नहीं। विवादों की फेहरिस्त में जो ताजा विवाद जुड़ा है वह उनको स्टार प्रचारक बनाए जाने को लेकर है। दरअसल पार्टी के अंदर स्टार प्रचारकों की लिस्ट तैयार हो रही है, जो कि चुनाव घोषित होने के बाद चुनाव आयोग को सौंपी जानी होती है। फिलहाल चर्चा यह है कि अखिलेश नहीं चाहते हैं कि अमर सिंह को स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल किया जाए। उनका तर्क यह बताया जाता है कि कौन प्रत्याशी उन्हें बुलाना चाहेगा। वैसे अगर अमर सिंह को लिस्ट में शामिल किया गया तो अखिलेश अपनी मित्र मंडली में से कुछ को स्टार प्रचारक की लिस्ट में शामिल कराने की जिद पर अड़ सकते हैं।संसदीय बोर्ड में बनाया गया सदस्यवहीं इसके अलावा सपा में टिकट वितरण को लेकर भी विवाद होने की आशंका जताई जा रही है। अमर सिंह के केंद्रीय संसदीय बोर्ड का मेंबर बनने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि टिकट वितरण में अमर सिंह की हनक चलने वाली है। आपको बता दें कि केंद्रीय संसदीय बोर्ड ही टिकट वितरण की फाइनल सूची पर मुहर लगाती है। चुनाव में टिकटों के बंटवारे का सारा काम केंद्रीय संसदीय बोर्ड ही करता है। अगर पार्टी में अब कोई नया विवाद उपजा तो उसका असर असर समाजवादी पार्टी की चुनावी तैयारियों पर पड़ना तय है।ब्लॉकबस्टर फिल्म से कम नहीं हैं
गौरतलब है कि अमर सिंह का राजनीतिक सफर किसी ब्लॉकबस्टर फिल्म से कम नहीं है, पिछले दो दशक में उनकी कहानी में कई उतार चढ़ाव आए। एक समय पर समाजवादी पार्टी में अमर सिंह की तूती बोलती थी लेकिन फिर वह हाशिये पर चले गए, लेकिन उन्होंने फिर एक बार दमदार वापसी है। दरअसल अब तक लोग यही मान रहे थे कि समाजवादी पार्टी में वही हो रहा है, जो सीएम अखिलेश यादव चाहते हैं। वहीं अब समाजवादी पार्टी में सांसद अमर सिंह का लगातार बढ़ता कद ने इन तमाम अटकलों को रोकने के लिए काफी है। अमर सिंह द्वारा सपा महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल पर लगाए गए गंभीर आरोपों के बावजूद खुद रामगोपाल को ही उन्हें संसदीय बोर्ड में शामिल करने का आदेश जारी करना पड़ा। इससे पहले रामगोपाल कह रहे थे कि टिकट वह खुद फाइनल करेंगे। अब संसदीय बोर्ड में अमर सिंह के आने से यह संभावना भी कम हो गई है। वहीं अब तक सीएम अखिलेश यादव की टिकट वितरण में क्या भूमिका होगी यह भी फाइनल नहीं हो सका है। सपा प्रदेश अध्यक्ष यह जरूर कह रहे हैं कि टिकट वितरण में सिर्फ सीएम से राय ली जाएगी। अंतिम फैसला सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ही करेंगे।सपा में अब भी सब ठीक नहीं! सीएम अखिलेश यादव की अब तक हुई मुलायम की दो रैलियों से दूरी बनाने से ये साफ समझा जा सकता है कि सपा में घमासान अभी भी कम नहीं हुआ है। 23 नवंबर को जब गाजीपुर में रैली हुई तो माना जा रहा था चूंकि यह रैली कौमी एकता दल (कौएद) के अध्यक्ष अफजाल अंसारी की मदद से की गई है, इसी वजह से सीएम वहां नहीं गए। लेकिन सात दिसंबर को जब बरेली में मुलायम की रैली हुई, तब भी सीएम वहां नहीं पहुंचे। इससे यह माना जा रहा है कि सपा प्रदेश अध्यक्ष की अगुवाई में आयोजित इस रैली से सीएम अखिलेश यादव दूरी बना रहे हैं।अमर के विरोध में डटे हैं अखिलेश यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने कई दफा अमर सिंह को पार्टी में शामिल होने का विरोध किया है क्योंकि उनका मानना है कि अमर सिंह ने परिवार और पार्टी में फूट डालने की कोशिश की है। हाल ही में अखिलेश ने साफ-साफ कहा था कि यदि वो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होते तो अमर सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा देते। रामगोपाल यादव ने भी अखिलेश के सुर में सुर मिलाते हुए कई बार अमर सिंह का विरोध किया है जिसका खामियाजा उन्हें पार्टी से निष्कासित होने के रूप में भुगतना पड़ा है। वहीं अमर सिंह के शुभचिंतकों में शामिल सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने लगातार उनका समर्थन किया है।अखिलेश के करीबियों पर शिवपाल का हंटर
सीएम अखिलेश यादव जहां रैलियों से दूरी बना रहे हैं, वहीं शिवपाल यादव लगातार सीएम अखिलेश यादव के करीबी जिलाध्यक्षों को हटा रहे हैं। अब तक करीब एक दर्जन जिलाध्यक्ष हटाए जा चुके हैं। गुरुवार को भी शिवपाल यादव ने बहराइच के जिलाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण यादव को हटाकर आनंद यादव को नया अध्यक्ष बना दिया है। लक्ष्मी नारायण यादव सीएम अखिलेश यादव के करीबी बताए जा रहे हैं। वहीं इससे पहले शिवपाल ने बागपत, मऊ, मुजफ्फरनगर, जालौन और फतेहपुर के जिलाध्यक्ष बदले हैं। मऊ में शैलेन्द्र उर्फ साधू यादव, मुजफ्फरनगर में ईलम सिंह गूजर, फतेहपुर में रामशरण यादव, बागपत में राजूद्दीन, जालौन में वीरपाल यादव को सपा का नया जिलाध्यक्ष बनाया गया है। वहीं वसी अंसारी को मुजफ्फरनगर में सपा महासचिव बनाया गया है। पुरानी कमेटियां अब कोई काम नहीं करेंगी।
आखिर में चलेगी मुलायम की ही मर्जी सपा अभी तक विधानसभा चुनाव के लिए 175 उम्मीदवारों की घोषण कर चुकी है। इस बीच टिकट बंटवारे को लेकर अहम भूमिका निभाने की दावेदारी से बेचैनी बढऩा स्वाभाविक है कि अब टिकट पा चुके उम्मीदवारों का क्या होगा। समाजवादी पार्टी में टिकट बंटवारे में भूमिका को लेकर भले ही अभी दावेदारी की जा रही हो, लेकिन नेताओ की अहमियत का पता तो बाद में ही चलेगा। सपा में वैसे भी मुलायम सिहं की मर्जी के बिना कुछ नही होता। शिवपाल हमेशा से कहते आए है कि वह नेता जी के सहमति पर काम करते है। अखिलेश समर्थकों को चाहे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना हो या प्रो. रामगोपाल का निष्कासन सब में नेता जी की सहमति रही है। वैसे पार्टी सूत्रों का दावा है कि चुनाव प्रचार में तेजी और टिकट बंटवारे से पहले मुलायम सिंह सभी कोने फिट करने में जुटे हैं।

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