सुल्तानपुर। आये दिन निर्माण कार्यो में हो रही धांधली और मानक के अनुरूप कार्य होने के समाचार अक्सर समाचार पत्रों में देखने को मिलता है और निर्माणकर्ता बेहिचक होकर निर्माण कार्य कराता है और सम्बन्धित अधिकारी निर्माण कार्य को आल इज वेल कुछ पैसों को लेकर कर देता है। उसी का नतीजा आज कूरेभार क्षेत्र में देखने को मिला है जहां पर क्षेत्र के राज पब्लिक स्कूल में विघालय के प्रबंधक की लापरवाही के चलते दर्जनों छोटे बच्चे मौत के मुँह में जाने से बचे। चोटहिल बच्चो को कूरेभार थाना प्रभारी ने सीएचसी कूरेभार भेजवाकर इलाज कराया। जिसमें करीब आधा दर्जन बच्चों को जिला चिकित्सालय भेजा गया। विघालय के स्टाफ के गैर जिम्मेदारी और लापरवाही के कारण बच्चो को गम्भीर चोटें आयी। कूरेभार थाना क्षेत्र के पुरखीपुर चैराहे पर नहर की पटरी पर करीब पाँच वर्ष पहले अवैध रूप से कब्जा करने के लिए विना किसी गुणवत्ता के आनन फानन मे निर्माण कराया गया था जो धीरे धीरे जर्जर हो गया है। जिसमे चल रहे राज पब्लिक स्कूल को शिक्षा विभाग से प्ले ग्रुप की मान्यता मिली है। उसके बाद प्रबंधक और खण्ड शिक्षाधिकारी सुशील त्रिपाठी के सहयोग से विघालय मे इण्टर तक के छात्र-छात्राओ को शिक्षा दी जा रही है। इस बावत एबीएसए कूरेभार से बात करने पर उनहोने स्वीकार किया कि बिघालय अबैध रूप से
सँचालित किया जा रहा है। चोटिल बच्चो मे नीशू यादव पुत्री चन्द्र भान यादव सुभी पुत्री राम तीरथ ईछूरी लक्ष्मी पुत्री चन्द्का प्रसाद शनि पुत्र कुलदीप नवीन मिश्र पुत्र राज नरायन मो.फईम के रवीकुमार पुत्र कपिल कुमार के साथ करीब दो दर्जन बच्चो को चोटें आई है। छज्जे पर खडे छोटे बच्चो के साथ जर्जर रेलिंग टूट कर बच्चो के साथ नीचे गिर गई नीचे चुटहिल बच्चो के उपचार को दरकिनार करते हुये विघालय के प्रबंधक रमेश वर्मा विघालय का नेम प्लेट और अभिलेख गायब करा कर अपने अपराध को छुपाने में व्यस्त थे। देर शाम तक किसी अभिभावक ने थाने पर कोई तहरीर नही दी गई थी। इस तरह के अवैध विघालयो की पूरे क्षेत्र मे भरमार है। अपनी सेटिंग से चल रहे विघालयो के पास न कोई मानक हैं और न ही विभागीय अनुमति। ऐसे विघालयो मे अभिभावक और छात्रों का शोषण बिना रोक टोक की जा रही है। ऐसी घटनाओं का जिम्मेदार शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी को ही माना जा सकता है।

छज्जा गिरने का आखिर जिम्मेदार कौन?

हम आपको बतातें है कि अगर जनपद के तमाम स्कूलों को सम्बन्धित विभाग द्वारा खंगाला जाय तो उसमें से शायद ही ऐसा कोई विद्यालय होगा जिसका बीएसए आॅफिस द्वारा विद्यालय चलाने की अनुमति प्रदान की गई हो लेकिन अधिकतर विद्यालय बिना अनुमति के ही चलाये जा रहे है। सूत्रों की मानें तो विभागीय सांठगांठ के चलते ऐसे विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं जो पूरी से जर्जर और खराब हो चुके है उसके नीचे छात्र एवं छात्राएं अपनी पढ़ाई कर रहे है। लेकिन सोचने की बात यह है कि इस तरह गिर रहे छज्जे का जिम्मेदार कौन है? या निर्माणकर्ता या पासकर्ता?