नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में सेना की अचानक मौजूदगी के मुद्दे पर सियासत गर्म हो गई है। टीएमसी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को तमाम सियासी दलों का साथ मिला है। कांग्रेस, बीएसपी, आप और एनसीपी समेत तमाम विपक्ष दलों ने ममता का समर्थन में आ गए हैं। पश्चिम बंगाल में सेना के 'तैनाती' के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में भी जोरदार हंगामा हुआ।

ममता के समर्थन में कांग्रेस– कांग्रेस का कहना है कि अगर ममता कह रही हैं तो उसमें जरूर कुछ न कुछ तो सच्चाई होगी। कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला के मुताबिक ममता कुछ कह रही हैं तो सरकार को उनकी बात पर ध्यान देना चाहिए। लगातार विपक्षी दल के मुख्यमंत्री को तंग किया जाए। केंद्र सरकार ऐसा कैसे कर सकती है, ये ठीक नहीं है।

वहीं, कांग्रेस नेता पीएल पूूनिया ने भी ममता का साथ दिया है। उन्होंने कहा है कि हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए की कि हमारा संविधान यूनियन ऑफ स्टेट्स की बात करता है। हर स्टेट ही एहमियत है। भारी से भारी संकट हो तब भी राज्य सरकार के अनुरोध पर ही असिस्टेंस दी जाती है। पश्चिम बंगाल में जो हो रहा है वो पूरी तरह असंवैधानिक है। यह महत्वपूर्ण मुद्दा है। पार्लियामेंट में उठाना चाहिए। विपक्षी दलों को सहमत होना चहिए। मुझे लगता है सब इसको उठाएंगे। इसी बीच, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि बंगाल में जो हुए वो दुर्भाग्यपूर्ण था। केंद्र सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए।

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ममता के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की है। उन्होंने ट्वीट किया है कि पश्चिम बंगाल को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि ममता दी ने विमुद्राकरण के खिलाफ आवाज उठाई है। वो उपनी लड़ाई जारी रखें, पूरा देश आपके साथ है।

वहीं, आप नेता दिलीप पांडे ने भी ममता का साथ दिया है। उन्होंने ट्वीट किया है कि युद्ध की स्थिति में सेना के हस्तक्षेप की बात समझ में आती है। शांति की स्थिति में पश्चिम बंगाल में टोलबूथ पर सैन्य सक्रियता संघीय ढांचे पर हमला है। दिलीप आगे कहते हैं कि सैन्य विशेषज्ञ मानते हैं कि शांति काल में राज्य में सैन्य सक्रियता बढ़ाना गलत। क्या ये पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का नोटबंदी पर मोदी के खिलाफ होने का नतीजा है?

सैन्य विशेषज्ञ मानते हैं कि शांति काल में राज्य में सैन्य सक्रियता बढ़ाना गलत। क्या ये WB CM का नोटबंदी पर मोदी के खिलाफ होने का नतीजा है?
एनसीपी नेता माजिद मेनन ने कहा है कि सच्चाई क्या है? इस मामले की जांच होनी चाहिए। और इस तरह से उनके लोगों को प्रताड़ित किया जाता है तो ये चिंता की बात है।
संसद में लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही टीएमसी ने सेना के अभ्यास का मुद्दा उठाया और राज्य सरकार को अंधेरे में रखने का आरोप लगाया, लेकिन सरकार ने इसके जवाब में कहा है कि सेना को लेकर इस तरह के आरोप लगाना विपक्ष की सियासी हताया है। जबकि सेना ने अपने अभ्यास से पहले राज्य सरकार को सूचना दी थी।रक्षा मंत्री ने कहा कि ये अभ्यास रूटीन है और हर साल होता है।

सेना ने भी इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा है कि राज्य सरकार और पुलिस की सहमति से अभ्यास किया था और राज्य सरकार चाहे तो इस मामले की जांच किसी भी एजेंसी से करा सकती है। मायावती ने तो इसे सीधे सीधे संघीय ढांचे पर प्रहार तक करार दिया है। उन्होंने कहा है कि मैं समझती हूं कि हमारे संविधान संघीय ढांचे की जगह है। हमारी पार्टी इसकी निंदा करती है। सेना ने कहा की रूटीन है। 4 बार तो मैं भी मुख्यमंत्री रही हूं। मैंने कभी ऐसा नहीं देखा है।